BCCI ने 30 जुलाई को Prithvi Shaw पर 8 महीने का प्रतिबंध लगाया था। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के इस प्रतिबंध के बाद वे 8 महीने तक किसी भी स्तर और किसी भी फॉर्मेट के क्रिकेट में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। पृथ्वी शॉ पर यह प्रतिबंध डोप टेस्ट में फेल होने के कारण लगाया था। हालांकि, लगता है कि मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) बीसीसीआई के इस फैसले से अवगत नहीं है। उसने ऑफ सीजन ट्रेनिंग कैंप के लिए 9 अगस्त को 37 सदस्यों वाली सीनियर्स प्लेयर्स की लिस्ट जारी की। इसमें 11वें नंबर पर पृथ्वी शॉ का भी नाम है। पृथ्वी के अलावा सूची में रोहित शर्मा, अजिंक्य रहाणे, शार्दुल ठाकुर, श्रेयस अय्यर और सूर्य कुमार यादव के नाम भी शामिल हैं।
इस संबंध में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ को उसके एक सूत्र ने बताया, ‘चयनकर्ताओं ने ऑफ सीजन कैंप (प्रशिक्षण शिविर) के लिए 16 जून को खिलाड़ियों को चुना था। ऑफ सीजन कैंप एमसीए के बीकेसी इंडोर एकडेमी पर 2-3 सप्ताह पहले ही शुरू हो चुका है। मुझे नहीं पता पृथ्वी शॉ का नाम लिस्ट में अब तक कैसे बना हुआ है।’
हालांकि, चयनकर्ता जब अगले सप्ताह विजय हजारे ट्रॉफी के लिए खिलाड़ियों का चयन करेंगे तो वहां पृथ्वी शॉ का नाम नहीं होगा। पृथ्वी शॉ भारत के लिए दो टेस्ट खेल चुके हैं। इसमें उन्होंने एक शतक और एक अर्धशतक के साथ कुल 237 रन बनाए हैं। वे इस समय इंग्लैंड में हैं। पृथ्वी शॉ पर बीसीसीआई ने भले ही 30 जुलाई को प्रतिबंध लगाया हो, लेकिन यह 16 मार्च से लागू माना जाएगा और 15 नवंबर को खत्म होगा। बीसीसीआई के नियमों के मुताबिक, 19 साल का यह भारतीय ओपनर 15 सितंबर के मध्यरात्रि के बाद राज्य टीम के साथ सिर्फ ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा ले सकता है।
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बता दें कि डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने के बाद बीसीसीआई ने पृथ्वी शॉ पर 8 महीने का प्रतिबंध लगाया था। बीसीसीआई के मुताबिक, एंटी डोपिंग प्रोग्राम के तहत फरवरी 2019 में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के दौरान पृथ्वी शॉ का यूरिन टेस्ट हुआ था। टेस्ट में Terbutaline पाया गया, जो प्रतिबंधित है। ऐसे पदार्थ अधिकतर कफ सीरप्स (खांसी की दवाओं) में पाए जाते हैं। इसके बाद हाल ही में केंद्र सरकार ने इस मामले में बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल ऑफ इंडिया (BCCI) को फटकार लगाई थी। केंद्र सरकार ने बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी को पत्र लिखकर कहा था कि बोर्ड के एंटी डोपिंग प्रोग्राम मजबूत और सटीक नहीं है। सरकार के मुताबिक, बीसीसीआई की ओर से खुद खिलाड़ियों का डोप टेस्ट करना और उन्हें सजा देने का मामला हितों के टकराव का है।