खेल के मैदान पर अक्सर ऐसे वाकये होते हैं जिसकी छाप खिलाड़ियों के साथ-साथ प्रशंसकों के दिलों में लंबे समय तक असर कर जाती है लेकिन कभी-कभी कुछ घटनाएं ऐसी भी हो जाती हैं जिसका जिक्र न कोई करना चाहता है और न ही उसे होता हुआ फिर कभी देखना चाहता है। ऐसा ही एक वाकया हुआ था आज ही के दिन यानी कि 27 नवंबर 2014 को जब ऑस्ट्रेलिया के फिलिप ह्यूज जिंदगी की जंग हार गए थे। सिडनी में खेले जा रहे एक घरेलू मैच के दौरान ह्यूज को सिर में गंभीर चोट लगी थी और अपने 26वें जन्मदिन के ठीक तीन दिन पहले ही इस खिलाड़ी ने दुनिया को अलविदा कह दिया था।
शेफील्ड शील्ड ट्रॉफी का वो मुकाबला साउथ ऑस्ट्रेलिया बनाम न्यू साउथ वेल्स के बीच खेला जा रहा था । 25 नवंबर को न्यू साउथ वेल्स के तेज गेंदबाज सीन एबॉट ने एक बाउंसर गेंद फेंकी जिसे हुक करने के चक्कर में ह्यूज बुरी तरह से घायल हो गए। गेंद उनके हेलमेट के निचले हिस्से में जाकर लगी थी । ह्यूज उस वक्त 65 रन बनाकर खेल रहे थे। चोट लगने के बाद वो अचेत होकर मैदान में गिर पड़े और 4 दिवसीय यह मुकाबला 49वें ओवर की तीसरी ही गेंद पर समाप्त हो गया। उन्हें सेंट विसेंट अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां वो कोमा में चले गए । आपात सर्जरी के बाद भी ह्यूज ने दुनिया को अलविदा कह दिया और क्रिकेट जगत ने एक युवा खिलाड़ी को खो दिया।
ह्यूज की मौत के बाद क्रिकेट जगत में काफी परिवर्तन भी देखने को मिला। हाल ही में संन्यास लेने वाले ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज मिशेल जॉनसन की अगर मानें तो उन्होंने इस प्रकरण के बाद अपनी स्टाइल में बदलाव किया और आक्रामकता में कमी लाई। वहीं फ्यूज की मौत के बाद खिलाड़ियों की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जाने लगा। हेलमेट निर्माताओं ने हेलमेट डिजाइन में बदलाव किया और हेलमेट के बैक रिम के नीचे एक गार्ड जोड़ा।
ह्यूज के करियर पर अगर नजर डालें तो इस खिलाड़ी ने 26 टेस्ट मैचों में 32.65 के औसत से 1535 रन बनाए थे जिसमें तीन शतक और सात अर्धशतक भी जमाए। वहीं वनडे मुकाबले में उन्होंने 25 मुकाबलों में दो शतक और 4 अर्धशतक की बदौलत 826 रन बनाए।



