सचिन यादव ने 19 साल की उम्र में जब तेज गेंदबाजी छोड़कर भाला फेंकने का फैसला किया तो उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के खेकड़ा गांव में रहने वाला उनका परिवार चिंतित था। हालांकि क्रिकेट करियर बनाने के लिए ट्रैक एंड फील्ड की तुलना में कहीं ज्यादा आकर्षक विकल्प था। फिर भी सचिन के पिता नरेश यादव ने अपने बेटे के फैसले का सम्मान किया और उसके लिए भाला फेंकने के लिए स्पाइक्स खरीदने के लिए पैसे भी उधार लिए।
यह छह साल पहले की बात है। गुरुवार (18 सितंब) को 25 साल के सचिन विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पोडियम फिनिश से बाल-बाल चूक गए और चौथे स्थान पर रहे। उन्होंने कई नामी भाला फेंक खिलाड़ियों को पीछे छोड़ दिया। इनमें डिफेंडिंग चैंपियन नीरज चोपड़ा और पाकिस्तान के ओलंपियन अरशद नदीम भी शामिल थे। ऐसा करके सचिन यादव ने अपने कोच नवल सिंह से किया वादा पूरा किया। नवल ने फाइनल से पहले सचिन को नदीम से पीछे न रहने को कहा था।
आश्चर्यजनक परीणाम देखने को मिले
छह फुट पांच इंच लंबे सचिन ने पहले राउंड में 86.27 मीटर का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो करके भारतीय दल को खुश कर दिया। उन्होंने 85.71 मीटर, 84.90 मीटर और 85.96 मीटर की थ्रो के साथ निरंतरता दिखाई। इस हाई प्रोफाइल फाइनल में आश्चर्यजनक परीणाम देखने को मिले। अप्रत्याशित विजेता त्रिनिदाद एंड टोबैगो के 2012 ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता केशोर्न वाल्कॉट रहे, जबकि पूर्व दो बार के विश्व चैंपियन ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने रजत पदक जीता। संयुक्त राज्य अमेरिका ने लगभग दो दशकों में पहली बार पोडियम स्थान हासिल किया। कर्टिस थॉम्पसन ने कांस्य पदक जीता।
90 मीटर से ज्यादा की दूरी तक भाला फेंक सकते हैं
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (AFI) की योजना समिति के अध्यक्ष ललित भनोट ने सचिन के चौथे स्थान पर आने को एक परिप्रेक्ष्य में रखा। उन्होंने कहा, “वह 90 मीटर से ज्यादा की दूरी तक भाला फेंक सकते हैं। वह अभी भी युवा हैं, लेकिन एएफआई को उनमें अपार संभावनाएं नजर आती हैं। नीरज ने ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को भाला फेंकने के लिए प्रेरित किया है। सचिन को इतना अच्छा करते देखकर, और भी लोग उनको फॉलो करेंगे। नीरज और सचिन दोनों अगले 10 सालों तक बड़ी प्रतियोगिताओं में पदक जीत सकते हैं।”
नीरज चोपड़ा के स्वर्ण जीतने के बाद कहानी पलटी
चार साल पहले टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद से भारत ने जैवलिन थ्रो में अच्छा किया है। 2023 में बुडापेस्ट विश्व चैंपियनशिप में चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीता, जबकि किशोर कुमार जेना पांचवें और डीपी मनु छठे स्थान पर रहे। इस साल चार भारतीयों ने विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई किया। यशवीर सिंह और रोहित यादव फाइनल में नहीं पहुंच पाए।
नीरज भाई का दस प्रतिशत भी नहीं
विश्व चैंपियनशिप से पहले सचिन को पता था कि उन्हें अपने चुने हुए खेल के कुछ दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी। सचिन ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा था, “मैं नीरज (चोपड़ा) भाई का दस प्रतिशत भी नहीं हूं। उन्होंने भारत को भाला फेंक का हुनर सिखाया। उन्होंने इतिहास रच दिया है। मुझे बस यही उम्मीद है कि एक दिन मैं भी भारत को गौरवान्वित कर सकूं।”
लक्ष्य 90 मीटर था
फाइनल से पहले सचिन के कोच द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता नवल सिंह ने उन्हें इस मौके से ज्यादा उत्साहित न होने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें याद दिलाया कि उनमें ताकत के साथ-साथ बड़ा थ्रो करने की तकनीक भी है। आज मेरा उनके लिए लक्ष्य 90 मीटर था। उन्होंने अभ्यास में 90 मीटर थ्रो किया है। हालांकि, फाइनल में वे चूक गए। उन्होंने साबित कर दिया कि वे विश्व चैंपियनशिप के दबाव को झेल सकते हैं।”
नदीम से आगे रहना
कोच ने कहा कि उन्होंने भारत बनाम पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता का इस्तेमाल सचिन को प्रेरित करने के लिए किया। निजी कारणों से भारत में ही रुके नवल सिंह ने कहा, “मैंने उनसे कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, नदीम से आगे रहना। उन्होंने वादा किया था कि वे ऐसा करेंगे। मुझे लगता है कि यह उनके लिए अतिरिक्त प्रेरणा थी। नीरज दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं और सचिन ने साबित कर दिया कि उनमें सर्वश्रेष्ठ बनने की क्षमता है।”
भारत को रजत दिला चुके हैं सचिन
मई में दक्षिण कोरिया के गुमी में आयोजित अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सचिन ने अपने पहले चार थ्रो में 80 मीटर का आंकड़ा पार करने में संघर्ष करने के बाद रजत पदक जीता था। नदीम ने तीसरे राउंड में 85.57 मीटर के साथ बढ़त बना ली थी, जबकि श्रीलंका के उभरते सितारे रुमेश थरंगा पथिरगे ने 82.28 मीटर की दूरी तय की थी, लेकिन सचिन दबाव में नहीं बिखरे। 83.06 मीटर और 85.16 मीटर की दूरी के साथ उन्होंने अंततः नदीम के बाद दूसरा स्थान हासिल करते हुए रजत पदक जीता। नीरज चोपड़ा इस स्पर्धा से बाहर रहे थे।
सचिन का परिवार खुश
नवल सिंह ने कहा, “एशियाई चैंपियनशिप में सचिन दबाव में थे, लेकिन फिर भी उन्होंने रजत पदक जीता। वह विश्व चैंपियनशिप में भी पदक के हकदार थे, लेकिन उन्हें एक और मौका मिलेगा।” सचिन का परिवार खुश है कि भाला फेंकने के उनके फैसले ने रंग दिखाया है। उनके बड़े भाई विपिन ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया “हम चिंतित थे, सोच रहे थे कि क्या वह लगभग 20 साल की उम्र में क्रिकेट छोड़कर भाला फेंक शुरू करके सही फैसला ले रहा है? क्रिकेट में पैसा है और आईपीएल का ग्लैमर भी। लेकिन चूंकि वह दृढ़ था, इसलिए हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। आज पूरा परिवार भावुक था।”
एफआई ने सचिन के लिए बड़ी योजनाएं बनाईं
इस बीच, एएफआई ने सचिन के लिए बड़ी योजनाएं बनाई हैं। उनके कोच से परामर्श के बाद महासंघ सचिन को भारत के विदेशी कोच सर्गेई मकारोव के साथ फुलटाइम ट्रेनिंग शुरू करने के लिए मनाने की उम्मीद कर रहा है। गुरुवार को फाइनल में भाषा की बाधा के कारण मकारोव के निर्देशों का सचिन के निजी फिजियो ने अनुवाद किया। दिल्ली के खचाखच भरे जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम से उनके ट्रेनिंग केंद्र को बेंगलुरु के पास केंगेरी स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) या पटियाला स्थित राष्ट्रीय खेल संस्थान (NIS) में शिफ्ट करने की योजना है।
भाला फेंक क्रांति
भनोट ने कहा, “एएफआई पिछले 15 सालों से भाला फेंक पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उस समय हमारे पास विदेशी कोच थे, लेकिन जब भारत पदक नहीं जीत पाया, तो हमसे सवाल किया गया कि हम भाला फेंक पर ध्यान क्यों दे रहे हैं। आज हमारे पास नीरज और सचिन हैं। यशवीर और रोहित ने भी विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई किया है। देश में भाला फेंक क्रांति आ गई है। सचिन को पूरा समर्थन मिलेगा, क्योंकि वह विश्व स्तरीय हैं।”