वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में गुरुवार (18 सितंबर) को नीरज चोपड़ा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, लेकिन बागपत के खेकड़ा के सचिन यादव ने कमाल का प्रदर्शन किया। 25 साल के सचिन ने टोक्यो में हो रहे चैंपियनशिप में पहले ही प्रयास में करियर का सर्वश्रेष्ठ 86.27 मीटर थ्रो किया। छह में से चार प्रयास में उन्होंने 84 मीटर से ज्यादा का थ्रो किया। हालांकि, भारत को वह भी मेडल नहीं दिला पाए। वह चौथे नंबर पर रहे।

सचिन ने पूर्व चैंपियन नीरज से बेहतर प्रदर्शन किया। नीरज चोपड़ा ने पहले में 83.65 मीटर का थ्रो किया, दूसरे में 84.03 मीटर का थ्रो किया, तीसरा राउंड फाउल रहा। चौथे राउंड में 82.86 मीटर का थ्रो रहा। पांचवां और अंतिम प्रयास फाउल रहा। सचिन ने पहले राउंड में 86.27 मीटर का थ्रो किया। दूसरा प्रयास फाउल रहा। तीसरा प्रयास 85.71 मीटर का रहा। तीसरा प्रयास 84.90 मीटर का रहा। पांचवां प्रयास 85.96 मीटर और छठा 80.95 मीटर का रहा। सचिन का वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप तक पहुंचने का सफर काफी दिलचस्प रहा है।

सरकारी नौकरी की तैयारी करते थे सचिन

2019 तक सचिन अपने गांव में टेनिस बॉल क्रिकेट खेला करते थे। सरकारी नौकरी की परीक्षा पास करने के लिए कोचिंग क्लास किया करते थे। 6 फुट 4 इंच के सचिन तेज गेंदबाज होने के साथ फ्लोटर बल्लेबाज थे। वह टाइमपास के लिए क्रिकेट खेलते थे। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार उन्होंने कहा, “क्रिकेट सिर्फ रविवार को टाइमपास के लिए था। मुझे ऊंचे स्तर पर खेलने की कोई ख्वाहिश नहीं थी।”

टेनिस-बॉल क्रिकेट से जैवलिन थ्रोअर बने सचिन

स्थानीय भाला फेंक कोच संदीप यादव ने सचिन की प्रतिभा पहचानी। संदीप ने संयोग से एक टेनिस-बॉल क्रिकेट मैच देखा, जिसमें सचिन खेल रहे थे। छह फुट चार इंच लंबे सचिन का आर्म स्पीड शानदार थी। संदीप ने इसपर गौर किया। कुछ ही हफ्तों में सचिन ने टेनिस बॉल की जगह बांस के भाले को अपना लिया।

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बांस के भाले से पहला थ्रो

सचिन को जैवलिन थ्रो में लाने के लिए संदीप को काफी मेहनत करनी पड़ी। उन्हें काफी समझाना पड़ा। खेकड़ा के एक निजी स्कूल के मैदान में संदीप कुछ भाला फेंकने के इच्छुक खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देते थे। सचिन ने यहीं बांस के भाले से अपना पहला थ्रो फेंका। सचिन ने इसे लेकर बताया था ,”यह 57 मीटर का थ्रो था और संदीप सर ने मुझे बताया कि यह एक शानदार शुरुआत थी।”

संदीप वीडियो से देते थे ट्रेनिंग

अगले दो वर्षों तक सचिन ने स्कूल के मैदान में ट्रेनिंग ली। उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत संदीप ड्यूटी पर होते थे तो वह वीडियो से कोचिंग देते थे। संदीप चाहते थे कि सचिन को खेकड़ा से दूर किसी बेहतर ट्रेनिंग सेंटर में जाने का मौका मिले। इसके लिए उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता सुमित अंतिल के कोच नवल सिंह से संपर्क किया। नवल, दिल्ली के जेएलएन स्टेडियम में एथलीटों को ट्रेनिंग देते हैं और सचिन राजधानी चले गए।