माइकल प्लातिनी ने यूरोपीय फुटबॉल के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि खेल पंचाट के उन पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ उनकी अंतिम अपील खारिज कर दी। फीफा से उन्हें मिले 20 लाख डॉलर के संदेहास्पद भुगतान के कारण उन पर यह प्रतिबंध लगा हुआ है। प्लातिनी ने खेल पंचाट में फरवरी में अपने प्रतिबंध के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसने उनका निलंबन छह से घटाकर चार साल कर दिया। खेल पंचाट ने कहा कि फीफा की नैतिक समिति द्वारा शुरू में लगाया गया यह जुर्माना ‘काफी कड़ा’ था। लेकिन खेल पंचाट ने कहा कि वह इस बात को नहीं मान सकता कि प्लातिनी को 2011 में फीफा से मिले 20 लाख डॉलर कानूनी रूप से दिए गए थे।
यह भुगतान फीफा के विवादों में घिरे पूर्व अध्यक्ष सेप ब्लाटर द्वारा दिया गया था, जिन्हें कई गलत लेन देन के कारण पद से हटा दिया गया था। विश्व फुटबॉल में भ्रष्टाचार के कई घोटालों में यह भी उच्च स्तर का मामला है, जिसमें लंबे समय से काम कर रहे दर्जन भर फीफा कार्यकारियों को भ्रष्टाचार के लिए आरोपी बनाया गया और उनमें से कुछ को गिरफ्तार किया गया था।
प्लातिनी फीफा में ब्लाटर की जगह लेने के उम्मीदवारों में सबसे आगे थे और खेल में सबसे ज्यादा ताकतवर व्यक्ति बन गए थे। प्लातिनी ने बयान में कहा कि इस फैसले के बाद उनके पास यूएफा से इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय संघों के साथ सहमति से मैं यूएफा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं ताकि मैं स्विस अदालत में अपना मामला लड़ सकूं और खुद को ईमानदार साबित कर सकूं।’’
प्लातिनी ने खेल पंचाट के फैसले को पूरी तरह से अन्याय करार दिया। यूएफा की कार्यकारी समिति 18 मई को बासेल में बैठक करेगी जो यूरोपा लीग फाइनल से पहले होगी। इस बैठक में ही प्लातिनी की जगह किसी अन्य के चयन की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है, हलांकि चुनाव कई और हफ्तों तक नहीं कराया जाएगा।
इस फैसले का मतलब है कि प्लातिनी को यूरो 2016 की अध्यक्षता करने से रोक दिया जाएगा जो उनके देश फ्रांस में 10 जून से शुरू होगा। प्लातिनी दिसंबर में अपने निलंबन से पहले तक इसके मुख्य आयोजक थे। प्लातिनी और ब्लाटर दोनों ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है।