2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में देश का परचम लहराने के बाद हरियाणा ने फिर से इतिहास रच दिया है। रोहतक की साक्षी मलिक ने महिला कुश्ती में पहले दौर में झटका खाने के बाद ऐसी वापसी की कि अपने प्रतिद्वंद्वी को चारों खाने चित्त करके देश की झोली में पहला पदक डाल दिया। अखाड़ों के लिए मशहूर हरियाणा के जुड़वां शहरों भिवानी और रोहतक के अखाड़ों ने देश को ऐसी प्रतिभाएं दी हैं कि दंगल में अपना दम दिखाने में यह राज्य सदा ही अग्रणी रहा है। हैरत नहीं कि प्रदेश की यह खासियत इतनी जबर्दस्त है कि फिल्मकार भी इसमें अपनी प्रतिभा दिखाने में पीछे नहीं रहे।

महज छह वर्ष पहले ही हरियाणा ने राष्ट्रमंडल खेलों में अपना झंडा गाड़ दिया था। आलम यह था कि प्रदेश को अगर भारत से अलग करके देखा जाता तो विश्व के देशों की फेहरिस्त में यह भारत के बाद पांचवें पायदान पर होता। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के ऊपर आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और कनाडा ही थे। देश की झोली में तब कुल 38 पदक गिरे थे जिनमें से 15 स्वर्ण पदक हरियाणा के खिलाड़ियों के नाम थे। रिकॉर्ड के तौर पर देखा जाए तो उत्तर भारत के इस अपेक्षाकृत छोटे प्रांत में देश की कुल जनसंख्या का महज दो फीसद ही रहता है। जबकि भूभाग की दृष्टि से हरियाणा के पास 1.37 फीसद हिस्सा ही है।

यह भी सच है कि यही हरियाणा जनसंख्या अनुपात में पिछड़ा रहा है। यहां की खाप पंचायतें और सामंती रवैया प्रदेश को अक्सर आलोचनाओं और ऐतराज के केंद्र में ले आते हैं। लेकिन इसी प्रदेश में आशा की यही सबसे चमकीली किरण है कि यहां की प्रतिभाओं पर किसी लिंग का आधिपत्य नहीं। साक्षी ऐसी चौथी महिला खिलाड़ी हैं जिन्हें ओलंपिक में पदक मिला है। इससे पहले यह सम्मान कर्णम मल्लेश्वरी, मैरी कॉम और सायना नेहवाल के नाम रहा है। संयोग से इन तीनों में से दो मल्लेश्वरी और नेहवाल भी प्रदेश की मिट्टी से जुड़ी हैं। हरियाणा की बदौलत 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में पदक तालिका में जबर्दस्त उछाल मिला। जबकि 2010 से चार वर्ष पहले 2006 में मेलबर्न में हुए खेलों में देश को महज एक स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य पदक मिले थे।

प्रदेश के इस प्रदर्शन का श्रेय यहां की समग्र खेल नीति को न दिया जाए तो यह उचित न होगा। हरियाणा के जनमानस में खेलों के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश की खेल नीति का अहम योगदान है। इस बार भी प्रदेश ने स्वर्ण पदक लाने वाले खिलाड़ी के लिए छह करोड़ के इनाम की घोषणा की है। अब खेल के मैदान में देखें तो हरियाणा और हुर्रियाणा में फर्क थोड़ा कठिन है।