पिछले अगस्त में टोक्यो पैरालिंपिक (Tokyo Paralympics) में डिस्कस थ्रो इवेंट (F52 वर्ग) में कांस्य पदक (Bronze Medal) जीतने वाले पैरा-एथलीट विनोद कुमार को दो साल के लिए निलंबित कर दिया गया। उनके ऊपर जानबूझकर अपनी शारीरिक अक्षमताओं के बारे में गलत जानकारी देने को लेकर कार्रवाई हुई।

भारतीय खिलाड़ी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा, “बोर्ड ऑफ अपील ऑफ क्लासिफिकेशन (बीएसी) ने दो साल का बैन लगाया है। इससे कुमार अगस्त 2023 तक पैरा-एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कंपटीशन में उनका प्रदर्शन उनके क्लासीफिकेशन प्रदर्शन के अनुरूप नहीं था।

वैश्विक निकाय ने अपने बयान में कहा, “विश्व पैरा एथलेटिक्स ने बीएसी के साथ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की। कुमार ने जानबूझकर टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेलों के क्लासिफिकेशन में अपनी शारीरिक अक्षमताओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया।” विश्व पैरा एथलेटिक्स क्लासिपिकेशन नियमों के तहत एक एथलीट का जानबूझकर अपने स्किल या अक्षमताओं की डिग्री या प्रकृति को गलत तरीके से प्रस्तुत करना अनुशासनात्मक अपराध है। इसमें उसकी मदद करना भी अनुशासनात्मक अपराध है।”

टोक्यो पैरालंपिक के दौरान पोलैंड के पिओट्र कोसेविक्ज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमिर सैंडोर (19.98 मीटर) के बाद तीसरे स्थान पर रहने वाले कुमार का सर्वश्रेष्ठ थ्रो 19.91 मीटर का था। मैच के तुरंत परिणामों की समीक्षा की गई। एक दिन बाद आयोजकों ने परिणाम मों ‘संशोधन’ की घोषणा की।

खेलों के तकनीकी प्रतिनिधियों की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कुमार को पुरुषों के F52 डिस्कस पदक के लिए अयोग्य पाया गया । फैसले का मतलब था कि कुमार ने पदक नहीं जीता। मांसपेशियों की कमजोर क्षमता वाले एथलीट f52 स्पर्धा में हिस्सा लेते हैं। उनकी मूवमें सीमित होती है और उनके हाथों में विकार होता है या पैर की लंबाई में अंतर होता है। खिलाड़ी प्रतिस्पर्धा में बैठकर हिस्सा लेते हैं।