1982 के बाद इस चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी फाइनल में भारत सबसे अच्छा प्रदर्शन करने की दहलीज पर खड़ा है। वह गोल्ड मेडल के लिए ऑस्ट्रेलिया से भिड़ने वाला है। मैच का प्रसारण शुक्रवार आधी रात बाद 12 बजकर 45 मिनट से स्टार स्पोर्ट्स पर होगा। हालांकि, अगर वे हारते भी हैं तो उन्हें सिल्वर मिलेगा। 1982 में तो टीम इंडिया को सिर्फ ब्रॉन्ज से संतोष करना पड़ा।
ऑस्ट्रेलिया के तौर पर उनके सामने बेहद मजबूत टीम टीम है। एक ऐसी टीम, जिसका टीम इंडिया के खिलाफ ट्रैक रिकॉर्ड बेहद अच्छा है। वे इस टूर्नामेंट में टीम इंडिया को हरा चुके हैं। अगर जज्बे से भरी टीम इंडिया मैदान पर नजर आती है तो हम एक बेहतर फाइनल की उम्मीद कर ही सकते हैं। हालांकि, इसमें कोई शक नहीं कि छह देशों के हिस्सेदारी वाले इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने के लिए टीम इंडिया ने बेहतर प्रदर्शन किया है। हालांकि, इसके नतीजे से टीम इंडिया के रियो ओलिंपिक्स में बनने वाली टीम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। टीम को लेकर टीम इंडिया समेत हर देश प्रयोग करता है। इस फाइनल में टीम इंडिया के पास गंवाने के लिए कुछ भी नहीं है। खुले दिमाग और बिना प्रेशर से खेलेकर वे बेहतर परफार्म कर सकती है। सरदार सिंह की गैरमौजूदगी में टीम इंडिया को बढ़ते देखना सुखद है। हालांकि, टीम इंडिया की इस तरक्की में कितनी गहराई है, इस बात का अंदाजा रियो ओलिंपिक्स के बाद ही लगाया जा सकता है।
ब्रिटेन और बेल्जियम के बीच मैच 3-3 से ड्रॉ रहने के बाद भारत ने खिताबी मुकाबले में जगह बनाई। भारत को फाइनल में प्रवेश के लिये ब्रिटेन का शुक्रगुजार होना चाहिये जिसने दो गोल से पिछड़ने के बाद आखिरी लीग मैच में बेल्जियम को 3-3 से ड्रॉ पर रोका।