भारत 15 साल बाद जूनियर हॉकी वर्ल्‍ड कप के फाइनल में पहुंचा है। उसके पास बेल्जियम को हराकर खिताब जीतने का सुनहरा मौका होगा। टीम इंडिया इस टूर्नामेंट में अभी तक अपराजेय रही है और उसने कनाडा, इंग्‍लैंड, दक्षिण अफ्रीका, स्‍पेन और ऑस्‍ट्रेलिया को हराया है। वर्तमान टीम के सात खिलाड़ी ऐसे हैं जो काफी सामान्‍य परिवार से आते हैं। इन सातों खिलाडि़यों के पिता ड्राइवर हैं और परिवार से अकसर दूर रहा करते हैं। ये खिलाड़ी हैं, हरजीत सिंह, विकास दहिया, कृष्‍ण बहादुर पाठक, हरमनप्रीत सिंह, वरुण कुमार, सुमित कुमार और अजीत कुमार पांडे।

फॉरवर्ड अजीत कुमार के हॉकी में आने की रोचक कहानी है। उनके पिता जय प्रकाश स्‍थानीय कारोबारी तेज बहादुर सिंह के यहां काम करते थे। उत्‍तर प्रदेश के गाजीपुर में रहने वाले तेज बहादुर खेलों के शौकीन हैं। इसलिए उन्‍होंने एक स्‍कूल में हॉकी एकेडमी शुरू की। इसके लिए उन्‍होंने आर्टिफिशियल टर्फ बनवाया और हॉकी स्टिक भी मुहैया कराईं। उस समय अजीत कुमार स्‍कूल में पढ़ते थे लेकिन उनकी हॉकी में रूचि नहीं थी। हालांकि तेज बहादुर से बातचीत के बाद उनका रूख बदल गया। अजीत ने बताया, ”एक ट्रिप के दौरान भैया (तेजबहादुर) ने मेरे पिता से कहा कि मुझे हॉकी एकेडमी से जुड़ना चाहिए। अगली सुबह मैं हॉकी पिच पर दौड़ लगा रहा था।” अजीत कुमार अपनी एकेडमी से तीसरे खिलाड़ी हैं जो अंतरराष्‍ट्रीय हॉकी खेले हैं। उनसे पहले शशिकांत और विनोद कुमार भी राष्‍ट्रीय हॉकी खेल चुके हैं।

टीम के स्‍टार ड्रेग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह अपने जोरदार हिट के लिए जाने जाते हैं। वे अपनी बाजुओं की ताकत का श्रेय पिता सरबजीत के ट्रेक्‍टर को देते हैं। एक बच्‍चे के रूप में हरमनप्रीत ट्रेक्‍टर के दीवाने थे। वे पिता के साथ बैठकर इसे चलाया करते थे लेकिन गियर बदलने में उन्‍हें काफी परेशानी होती थी। उन्‍होंने बताया, ”मेरे पिता मुझे बताया करते थे कि ट्रेक्‍टर कैसे चलाते हैं, गियर बदलने की प्रकिया सबसे कठिन थी।” समय बदलने के साथ वे यह ट्रिक सीख गए लेकिन इससे उनके कंधे और बाजू मजबूत हो गए। हरमनप्रीत ने कहा, ”बस, देखते ही देखते डोले बन गए। पेनल्‍टी कॉर्नर में काम आता है काफी।”

डिफेंडर वरुण कुमार के पिता ब्रह्मानंद पंजाब में मेटाडोर 407 चलाते हैं। गोलकीपर विकास दहिया के पिता दलबीर सोनीपत में प्राइवेट फर्म में ड्राइवर हैं। बैक अप गोलकीपर कृष्‍ण बहादुर पाठक के पिता टेक बहादुर क्रेन ऑपरेटर थे। उनका इसी साल निधन हो गया। मिडफील्‍डर सुमित कुमार के पिता रामजी प्रसाद वाराणसी में ड्राइवर हैं। सुमित ने स्‍पेन पर जीत में अहम भूमिका निभार्इ थी।