महेंद्र सिंह धोनी ने रांची को दुनिया भर में पहचान दिलाई, लेकिन उसी शहर की लवली की ख्वाहिश बस देश में नाम कमाने की है। लवली राष्ट्रमंडल खेलों में लॉन बॉल्स में भारत को पहला पदक दिलाने वाली टीम की सदस्य है। महिला फोर्स सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को हराने के बाद लवली चौबे, रूपा रानी टिर्की, पिंकी और नयनमोनी सैकिया को यकीन ही नहीं हुआ कि उन्होंने इतिहास रच दिया है।

38 वर्ष की लवली झारखंड पुलिस में कांस्टेबल है, जबकि रूपा भी रांची से है और खेल विभाग में कार्यरत है। पिंकी दिल्ली में डीपीएस आर के पुरम में खेल शिक्षक है जबकि नयनमोनी असम में एक किसान परिवार से है और राज्य के वन विभाग में कार्यरत है। तीसरी बार राष्ट्रमंडल खेलों में भाग ले रही लवली ने कहा ,‘‘हमारे लिये यह ओलंपिक जितना बड़ा है क्योंकि लॉन बॉल ओलंपिक का हिस्सा नहीं है। हम चार साल पहले एक अंक से पदक से चूक गए थे, लेकिन इस बार हम पूरी तैयारी से आये थे। उम्मीद है कि इस उपलब्धि से हमें पहचान मिलेगी।’’

लवली सौ मीटर की फर्राटा धाविका थी जबकि नयनमोनी भारोत्तोलक थी । दोनों को चोट के कारण लॉनबॉल में आना पड़ा । लवली ने कहा कि लॉन बॉल के लिये हरा मैदान और गेंद चाहिये लेकिन गेंद भारत में नहीं बनती बल्कि आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से आयात होती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके पदक के बाद हालात बदलेंगे।

रांची में अभ्यास के दौरान धोनी भी कभी कभार मैदान पर आते हैं और लवली का कहना है कि उन्हें लॉनबॉल के बारे में काफी जानकारी है । उन्होंने कहा ,‘‘धोनी सर रांची में हमारे कोच को जानते हैं और दो बार मैदान पर भी आये हैं । जब वह देवरी माता के मंदिर जाते हैं तो हमारे मैदान पर भी आते हैं । उन्होंने कहा था कि जब वह आस्ट्रेलिया जाते हैं तो लॉन बॉल खेलते हैं।’’

बता दें कि बर्मिंघम में जारी कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत के नाम अबतक छह पदक हो चुका है। सभी पदक वेटलिफ्टिंग में आए हैं। इनमें से तीन पदक गोल्ड, दो सिल्वर और एक बॉन्ज है। इसके अलावा लॉन बॉल्स के अलावा जूडो में भी पदक पक्का हो गया है। देनों खेलों में देश की झोली में गोल्ड या सिल्वर आएगा। भारत फिलहाल पदक तालिका में छठे नंबर पर है।