स्कीइंग में अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाली पहली भारतीय आंचल ठाकुर को उम्मीद है कि उनके पदक से शीतकालीन खेलों के प्रति सरकार की उदासीनता खत्म होगी। तुर्की में कांस्य पदक जीतने वाली आंचल को चारों ओर से बधाई मिल रही है। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें खुद बधाई दी है। आंचल ने पीटीआई से कहा, “मैने कभी सोचा भी नहीं था कि प्रधानमंत्री मेरे लिये ट्वीट करेंगे। यह अकल्पनीय है। मैं उम्मीद करती हूं कि हमें भी दूसरे लोकप्रिय खेलों के खिलाड़ियों के समकक्ष आंका जाये। फिलहाल सरकार से कोई सहयोग नहीं मिला है।” आंचल ने कहा “मैं इतना ही कहना चाहती हूं कि हम काफी परेशानियों से जूझ रहे हैं और कड़ी मेहनत कर रहे हैं।”
चंडीगढ के डीएवी कालेज की छात्रा आंचल के लिये यह सफर आसान नहीं था। हालांकि उनके पिता रोशन ठाकुर भारतीय शीतकालीन खेल महासंघ के सचिव हैं और स्कीइंग के शौकीन हैं। उनके बच्चों आंचल और हिमांशु ने कम उम्र में ही स्कीइंग को अपना लिया था। आंचल ने कहा “मैं सातवीं कक्षा से ही यूरोप में स्कीइंग कर रही हूं। पापा हमेशा चाहते थे कि मैं स्कीइंग करूं और वे इसके लिये अपनी जेब से खर्च कर रहे थे। बिना किसी सरकारी सहायता के उन्होंने मुझ पर और मेरे भाई पर काफी खर्चा किया है।” इसके आगे आंचल ने कहा “भारत में स्कीइंग करना हमारे लिये सबसे चुनौतीपूर्ण था क्योंकि यहां अधिकांश समय बर्फ नहीं गिरती है, लिहाजा हमें बाहर जाकर अभ्यास करना पड़ता था।”
Well done @alleaanchal for winning an international medal in skiing! The entire nation is ecstatic on your historic accomplishment at the FIS International Skiing Competition in Turkey. Wishing you the very best for your future endeavours.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 10, 2018
वहीं इस पर आंचल के पिता रोशन ने कहा कि भारत में गुलमर्ग और औली में ही विश्व स्तरीय स्कीइंग सुविधायें हैं लेकिन उनका रखरखाव अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा “यूरोपीय साल में दस महीने अभ्यास कर पाते हैं जबकि हमारे खिलाड़ी दो महीने ही अभ्यास कर सकते हैं क्योंकि विदेश में अभ्यास करना काफी महंगा होता है। स्की, बूट और कपड़ों की लागत ही करीब चार पांच लाख रूपये आती है।” ऐतिहासिक पदक जीतने के बाद आंचल का अगला लक्ष्य दक्षिण कोरिया में अगले महीने होने वाले शीतकालीन खेलों के लिये क्वालीफिकेशन मार्क हासिल करना है। आंचल ने कहा “क्वालीफाई करने के लिये पांच रेस में हमें 140 से कम अंक बनाने होते हैं और मैं एक रेस में भी ऐसा नहीं कर सकी। मंगलवार का कोर्स काफी चुनौतीपूर्ण था और स्वर्ण पदक विजेता भी 140 से कम अंक नहीं बना सका।”