मिहिर वासवड़ा : पहलवान विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक के खत्म होने के दो दिन बाद यानी मंगलवार को पता चलेगा कि उन्हें रजत पदक मिलेगा या नहीं। ऐसा तब हुआ जब कोर्ट ऑफ अर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) ने पहलवान की अपील पर फैसला लेने के लिए 13 अगस्त को पेरिस समयानुसार शाम 6 बजे तक का समय बढ़ा दिया। शनिवार को यह दूसरी बार था जब सीएएस ने फैसला लेने के लिए और समय की बात कही।

फोगाट ने पिछले बुधवार को अमेरिक की सारा हिल्डेब्रांट के खिलाफ 50 किलोग्राम के फाइनल में हिस्सा नहीं ले पाने के बाद अपनी अयोग्यता को चुनौती दी है। भारतीय पहलवान का वजन फाइनल की सुबह 100 ग्राम अधिक पाया गया। इसके बाद उन्हें कंप्टिशन से अयोग्य घोषित कर दिया गया।इससे पहले सीएएस एडहॉक डिविजन के अध्यक्ष ने पैनल को फैसला सुनाने की समयसीमा बढ़ा दी थी। इसके पेरिस के समयानुसार शनिवार शाम 6 बजे फैसला आना था।

असाधारण मामलों निर्णय की समयसीमा बढ़ाई जाती है

इसके कुछ समय बाद, भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि दो दिन और आगे बढ़ा दिया गया है। मामले की सुनवाई शुक्रवार को हुई। सीएएस के नियमों के अनुसार, एडहॉक पैनल को आवेदन दाखिल करने के 24 घंटे के भीतर निर्णय देना होता है। असाधारण मामलों में, परिस्थितियों की आवश्यकता होने पर एडहॉक डिविजन का अध्यक्ष इस समय सीमा को बढ़ाया जा सकता है।

‘भारतीय खेल के इतिहास का सबसे क्रूर दिन’

बेहतरीन प्रदर्शन के बाद 100 किलोग्राम वजन ज्यादा होने के कारण फाइनल से अयोग्य ठहराए जाने से निराश और दुखी फोगाट ने संन्यास लेने की घोषणा कर दी। सीएएस के निर्णय की प्रतीक्षा के बीच बीजिंग ओलंपिक में शूटिंग में स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा ने 50 किलोग्राम फाइनल से विनेश की अयोग्यता को ‘भारतीय खेल के इतिहास का सबसे क्रूर दिन’करार दिया।

मुझे विश्वास नहीं हुआ

आईओसी का ओलंपिक ऑर्डर अवार्ड प्राप्त करने के बाद शनिवार को अभिनव बिंद्रा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि विनेश फोगाट को अयोग्य घोषित किए जाने के बारे में जानने के बाद उन्हें महसूस हुआ। उन्होंने कहा, ” यह बहुत ही क्रूर दिन था। मुझे विश्वास नहीं हुआ। शॉक लगा। मुझे उल्टी करना चाहता था। सुबह-सुबह किसी ने मुझे संदेश भेजा। सच कहूं तो मुझे कुछ पता नहीं था कि क्या हो रहा है। यह पागलपन था।”

क्या बोल् अभिनव बिंद्रा

बिंद्रा ने माना कि खेल नियमों और कायदे से चलता है। उन्होंने कहा, “मैं मानवीय पक्ष की बात कर रहा हूं। पिछले डेढ़ साल में वह बहुत मुश्किल दौर से गुजरी हैं। वापसी करना और खेलों के लिए क्वालिफाई करना और इस तरह का प्रदर्शन करना। अविश्वसनीय। दुर्भाग्य, बदकिस्मती…खेल जीवन में क्रूर हो सकता है। मुझे लगता है कि यह हमारे भारतीय खेलों के इतिहास में शायद सबसे क्रूर दिन था। मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ भी हो सकता है जो इसके करीब भी आ सके।”