शतरंज की दुनिया के महारथी अगले सप्ताह भारत में होंगे। अवसर होगा प्रतिष्ठित शतरंज ओलंपियाड का। स्थान होगा चेन्नई जो शतरंजमय हो चुका है। खेल का ऐसा विशाल आयोजन पहले कभी भारत में नहीं हुआ। 2013 में इसी स्थान पर विश्वनाथन आनंद और मैगनम कार्लसन के बीच विश्व चैंपियनशिप का खिताबी संघर्ष हुआ था। इसमें पुरुष वर्ग में 188 और महिला वर्ग में 162 देशों का उतरना यह साबित करेगा कि यह शतरंज का इतिहास का सबसे बड़ा ओलंपियाड होगा। मेजबान भारत को ओपन वर्ग में तीन और महिला वर्ग में दो टीमें उतारने की इजाजत दी गई है। इससे कई खिलाड़ी अपना कौशल दिखा पाएंगे।

रेकार्ड टीमों की मौजूदगी ही नहीं, ओलंपिक की तरह पहली बार शतरंज ओलंपियाड की मशाल का देश के 75 शहरों में सफर भी खेल में एक नए युग की शुरुआत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मशाल प्रज्जवलित कर टूर्नामेंट को खास दर्जा दे दिया है। मशाल जिन शहरों में जा रही है, वहां के मुख्यमंत्री या राज्यपाल का आयोजन से जुड़ना भी इसकी महत्ता को बढ़ा रहा है। इससे जिन राज्यों में मशाल जाएगी, वहां भी खेल के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। आयोजन की सफलता से शतरंज जगत में भारत का कद बढ़ेगा।

वैसे शतरंज में बीते कुछ दशकों में भारत का रुतबा बढ़ा है। विश्वनाथन के पहले जूनियर और फिर अनेक बार विश्व चैंपियन बनने से देश में शतरंज क्रांति आई है। महिला वर्ग और आयु वर्ग शतरंज में भारतीय खिलाड़ियों को सम्मान की नजर से देखा जाता है। यह दर्शाता है कि दिमागी कौशल के इस खेल में हम किसी से कम नहीं। करीब 75 खिलाड़ियों का ग्रैंडमास्टर बनना भी भारत की ताकत को साबित करता है।

खिलाड़ी खेल को पहचान दिलाते हैं । राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया गया उनका प्रदर्शन खेल को लोकप्रिय बनाने में सहायक होता है। खेल से जुड़े हर खिलाड़ी की तमन्ना होती है प्रमुख टूर्नामेंटों में खेलना। इन टूर्नामेंटों में अच्छे प्रदर्शन से उनकी रेटिंग बढ़ती है। अंतरराष्ट्रीय नार्म मिलना और ग्रैंडमास्टर बनना भी इस प्रक्रिया का हिस्सा है। इएलओ रेटिंग बनती है खिलाड़ी की श्रेष्ठता का पैमाना। जब राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करने की बात आती है तो रेटिंग की भी भूमिका रहती है।

करीब 240 ग्रैंडमास्टर इस ओलंपियाड में विभिन्न देशों की तरफ से अपना हुनर दिखाएंगे। स्विस सिस्टम से 11 राउंड के इस ओलंपियाड में अमेरिका को ओपन वर्ग में शीर्ष वरीयता दी गई है। टीम की रेटिंग काफी ऊंची है। लेवोन अरोरियन, सो वेस्ले, फैबिनो करुआना, हिकास नाकामूरा और लेनिओन पेरेज से युक्त अमेरिका की टीम को पछाड़ना सभी के लिए चुनौती है। अमेरिकी टीम की 2771 की रेटिंग के बाद दूसरे नंबर पर अजरबेजान की टीम है जिसकी रेटिंग 2696 है। भारत को तीसरी सीडिंग दी गई है जबकि चौथे नंबर पर विश्व चैंपियन मैगनम कार्लसन की नार्वे है।

विश्वनाथन आनंद भारतीयों टीमों का हिस्सा नहीं होंगे। प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को मौका देने के लिए उन्होंने खेलने की बजाय खिलाड़ियों का मेंटर बनने को तवज्जो दी है। आनंद कई ओलंपियाड में टीम का हिस्सा रह चुके हैं। आनंद का अनुभव खिलाड़ियों के लिए काफी उपयोगी हो सकता है। चूंकि ओलंपियाड चेन्नई में हो रहा है तो घरेलू परिस्थितियों का लाभ भारत को मिल सकता है। आनंद ही नहीं, सोवियत संघ में जन्मे इजराइली ग्रैंडमास्टर बोरिस गेलफांद ने भी भारतीय टीम की तैयारियों में योगदान दिया है। दस दिन उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों की कमजोरियों पर काम किया है और साथ ही कौशल निखारने में मदद की है। खिलाड़ियों ने भी उनसे गुर सीखने की ललक दिखाई है।

भारत के पास दोनों वर्गों में पदक जीतने के अच्छे आसार है। 2020 में जब आनलाइन ओलंपियाड का आयोजन किया गया था तो भारत ने रूस के साथ संयुक्त विजेता बनने का गौरव पाया था। 2014 में भारत ओलंपियाड में कांस्य पदक भी जीत चुका है। 2020 की सफलता विदित गुजराती की अगुआई में मिली थी। ओपन वर्ग में भारत की पहली टीम में उनके पास पेंटाला हरिकृष्ण, कृष्णन शशिकिरण, 19 वर्षीय अर्जुन एरिगेसी और एसएल नारायणन होंगे। कुछ वर्षों में प्रतिभावान खिलाड़ियों के तौर पर सुर्खियां बटोर रहे प्रग्गननंधा, निहाल सरीन, डी गुकेश और रौनक साधवानी दूसरी टीम में होंगे। ये सभी ओलंपियाड में पदार्पण करेंगे।

सबसे बेहतर रेटिंग होने का कारण भारत की पहली टीम को महिला वर्ग में शीर्ष वरीयता दी गई है। इस टीम में अनुभवी कोनेरू हंपी, हरिका द्रोणावल्ली, तानिया सचदेव, आर वैशाली और भक्ति कुलकर्णी हैं। दूसरी टीम में राष्ट्रीय चैंपियन सौम्या स्वामीनाथन, मेरी ऐन गोम्स, पद्मिनी राउत, वंतिका अग्रवाल और 15 वर्षीया दिव्या देशमुख हैं।

पिछले नौ में से छह ओलंपियाड में गोल्ड जीतने वाले ताकतवर शतरंज राष्ट्र रूस और चीन के नहीं होने से टूर्नामेंट की चमक फीकी जरूर पड़ेगी। उक्रेन पर हमले की वजह से अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ ने रूस को निलंबित किया हुआ है। चीन ने इससे दूर रहने का फैसला किया है। पर इसके बावजूद श्रेष्ठता की जंग आसान नहीं होगी।