मुक्केबाजी में भारत की नई चुनौती बनकर उभर रही हैं निकहत जरीन। पूर्णबंदी का दौर खत्म होने के बाद उन्होंने रिंग में अपनी मौजूदगी बढ़ाई है। अब वह एशियाई और विश्व चैंपियनशिप पर नजर गड़ाए हुए हैं। उनके पास कई और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट हैं।

24 साल की निकहत 15 मार्च से शुरू होने वाले अंतरराष्ट्रीय एलीट पुरुष और महिला इस्तांबुल बोस्फोरस बॉक्सिंग टूर्नामेंट के साथ प्रतियोगिताओं में अपनी हिस्सेदारी फिर से शुरू करेंगी। हाल में मिजोरम के 21 वर्षीय मुक्केबाज लालरिनसांगा तलाउ ने आइजोल में आठ दौर के मुकाबले में घाना के एरिक क्वारम को हराकर विश्व मुक्केबाजी परिषद का युवा विश्व सुपर फीदरवेट खिताब जीता है। उसके बाद 15 मार्च से निकहत के प्रदर्शन पर निगाहें हैं।

निकहत जरीन बताती हैं कि अपनी पहली प्रतियोगिता के बाद खून से सनी और काली आंख के साथ घर लौटी थीं। इस घटना के बाद उनकी मां की आंखों में आए आंसुओं ने अपनी बेटी की खेल की पसंद पर सवाल उठा दिया। तब युवा निकहत ने तय किया कि वह अगली बार अपने प्रतिलंली को धूल चटाएंगी।

निकहत ने एक खेल चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, हो सकता है कि कुछ लोगों ने इस खेल को बहुत क्रूर समझा होगा और माना होगा कि उनका स्वास्थ्य मुक्केबाजी से अधिक महत्त्वपूर्ण है, लेकिन मैंने जो सोचा, मैं हमेशा इसी तरह सोचती थी कि उसने मुझे इतनी बुरी तरह से कैसे पीटा? मैं अगली बार इसका बदला लूंगी। वे कहती हैं कि बतौर फ्लाईवेट मुक्केबाज वे कुछ मजबूत पंच मार सकती हैं, लेकिन उन्होंने पंच खाना और फिर से अपने पैरों पर खड़ा होना भी सीखा है।

अपने पिता मोहम्मद जमील अहमद द्वारा  प्रशिक्षित निकहत ने एक धावक के रूप में शुरुआत की थी। वह अपनी तीन बहनों के साथ एक रूढ़िवादी परिवार में पली-बढ़ीं, लेकिन उन्होंने मुक्केबाजी के बारे में ठान रखा था। उसकी मां और रिश्तेदार उसके फैसले से बहुत खुश नहीं थे, लेकिन पिता ने साथ दिया। वे बताती हैं कि शुरुआती दिनों से मैने सीखा कि रिंग में अपने स्थान के लिए कैसे लड़ना है।

उन्हें पहली अंतरराष्ट्रीय विजय 2011 में मिली, जब उन्होंने तुर्की में एआइबीए महिला जूनियर और युवा विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। स्टार जूनियर होने के बावजूद निकहत को भारतीय सीनियर टीम में जगह बनाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वे कहती हैं, 51 किग्रा वर्ग में अपनी जगह बनाना बहुत मुश्किल था। मैरी कॉम और पिंकी जांगड़ा जैसे पहले से ही स्थापित नाम रहे हैं। वे मेरे मुकाबले बहुत वरिष्ठ और अनुभवी हैं।

उन्होंने 19 साल की उम्र में राष्ट्रीय शिविर में प्रवेश किया था। उनके वजन वर्ग में कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण निकहत को 2016 विश्व चैंपियनशिप के लिए राष्ट्रीय चयन ट्रायल के लिए 54 किलोग्राम वर्ग में जाने की सलाह दी गई थी। निकहत ने ट्रायल जीता और अस्ताना में विश्व चैंपियनशिप में क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया। चार साल से अधिक समय के लिए निकहत अभी भी भारत के अग्रणी फ्लाईवेट बॉक्सर बनने के मौके का इंतजार कर रही हैं।