महेंद्र सिंह धोनी जीत या हार किसी भी परिस्थिति में आपा नहीं खोने वाले इंसान हैं। यह खासियत उनमें बचपन से है। उन पर बनी बायोपिक MS Dhoni: द अनटोल्ड स्टोरी के प्रमोशन के दौरान उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में भी धैर्य नहीं खोने का फंडा बताया था। प्रमोशनल कार्यक्रम के दौरान महेंद्र सिंह धोनी से एक स्टूडेंट ने एग्जाम में डिफिक्लट सिचुएशन आने पर कॉम एंड कूल रहने के टिप्स मांगे थे।

इस पर माही ने कहा था, इसका बहुत ही साधारण उत्तर है। वास्तव में यह मेरी जिंदगी में हो चुका है। इसलिए मेरे लिए बोलना बहुत आसान है। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि जब आपको प्रश्न पत्र मिलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। आप जानते हैं कि अगर आपने साल भर पढ़ाई की होगी तो आपको सारे उत्तर पता होंगे। थोड़ा आप मिस करोगे, थोड़ा भूलोगे, लेकिन अल्टीमेटली आप उतर लिख सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि हर दिन जब आप क्लास में जा रहे हैं तो उसमें अटेंटिव रहें और हर दिन थोड़ी-थोड़ी पढ़ाई करते रहें। ऐसा नहीं है कि आखिरी दो महीने में जमकर पढ़ाई करें और बाकी 10 महीने में कुछ भी नहीं करें।

उन्होंने कहा, जब मैं 12वीं कक्षा में पढ़ रहा था तो हमारे मैच थे। हमने मम्मी को तो तैयार कर लिया था, यह बात पापा से बताने में संकोच हो रहा था। सोच रहा था कि पापा के पास कैसे जाकर बताएं कि एग्जाम है, लेकिन उसके पहले मुझे मैच खेलने हैं और एग्जाम खत्म होने के बाद भी मुझे ट्रेन पकड़कर मैच खेलने जाना है और मैच खेलकर फिर वापस आना है। आखिरकार मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाकर पापा के पास गए। उन्हें सारी बात बताई। पापा ने बहुत आराम से जवाब दिया। उन्होंने कहा, बेटा अगर साल भर मेहनत करे होगे तो एक दिन से कोई फर्क नहीं पड़ेगा और अगर साल भर मेहनत नहीं किए होगे तो भी एक दिन से फर्क नहीं पड़ेगा। तो तुम जाकर खेलो।

बता दें कि महेंद्र सिंह धोनी सीमित ओवरों के फॉर्मेट में भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तान के रूप में रिटायर हुए। उन्होंने अपनी कप्तानी में आईसीसी की तीन ट्रॉफियां जीतीं हैं। 2007 में टी20 विश्व कप, 2011 में वनडे वर्ल्ड कप और 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी। ऐसा करने वाले वह एकमात्र कप्तान हैं। उन्होंने आखिरी बार 2019 आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल के दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला था। उस मैच में भारत न्यूजीलैंड से हार गया था।