भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के लिए वर्ल्ड कप 2023 उनके करियर का ऐसा टूर्नामेंट है जिसे वह कभी भूल नहीं सकते। शुरुआत के मुकाबलों में बाहर रहने के लिए बाद जब उन्हें मौका मिला तो वह सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए। शमी के शहर अमरोहा में सफलता का जश्न मनाया गया।
शमी पर सिर्फ अमरोहा वालों का ही नहीं बल्कि बंगाल वालों का भी हक है। इसका कारण है कि शमी अपना घरेलू क्रिकेट बंगाल की ओर खेले हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश के रहने वाले शमी बंगाल के लिए क्यों खेले।
यूपी वालों ने नहीं दिया मौका
शमी ने हाल में दिए इंटरव्यू में भी इसकी वजह बताई। शमी ने बताया कि जब उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तब उन्होंने शुरुआत उत्तर प्रदेश से ही की थी। उन्होंने दो साल यूपी की रणजी ट्रॉफी टीम के लिए ट्रायल दिया था। शमी ने कहा, ‘सबकुछ ठीक रहता था मैं अच्छा करता था लेकिन इसके बाद जैसे ही आखिरी राउंड आता था यूपी वाले लात मारकर बाहर कर देते थे कि यहां तुम्हारा कोई काम नहीं था।’
शमी ने आगे बताया, ‘भइया साथ रहते थे। अगले साल 1600 लड़के आए थे जिनका ट्रायल तीन दिन में होना था। भाइया ने कहा कि यहां तो मेले चल रहा है। उन्होंने जाकर चीफ सेलेक्टर से बात की जिन्होंने ऐसा जवाब दिया जो कि भइया ने कभी सोचा नहीं था।’
चीफ सेलेक्टर के सामने फाड़ दिया फॉर्म
तेज गेंदबाज ने आगे कहा, ‘चीफ सेलेक्टर ने भइया से कहा कि अगर मेरी कुर्सी हिला सकते तो लड़का सेलक्ट हो जाएगा बहुत अच्छा है। भाइया ने कहा कि हिलाने की छोड़ो मैं कुर्सी भी उलटा कर सकता हूं पावर इतनी है मेरे पास लेकिन लेना ऐसा नहीं चाहता। लड़के में दम हो तो लेना। सेलेक्टर ने इसके बाद कहा कि दम वालों का यहां कोई काम नहीं है।’ यह सुनकर शमी के बड़े भाई को बहुत गुस्सा आ गया। उन्होंने सेलेक्टर के सामने ही ट्रायल फॉर्म फाड़ दिया और कहा कि वह और उनका भाई यूपी के लिए नहीं खेलेंगे।
इसके बाद शमी ने त्रिपुरा के लिए ट्रायल दिया लेकिन वहां भी सेलेक्शन नहीं हुआ। शमी को फिर कोलकाता में क्लब क्रिकेट खेलने को मिला। पहले सीजन में उन्हें पैसे नहीं दिए। शमी ने वहां शानदार प्रदर्शन किया जिसके बाद क्लब के सीईओ ने इनाम के तौर पर 25 हजार रुपए दिए। क्लब क्रिकेट के कारण ही शमी को पहले रणजी और फिर टीम इंडिया के लिए खेलने का मौका मिला।