मोहम्मद कैफ को क्रिकेट से अलविदा कहे हुए भले ही अर्सा हो गया हो, लेकिन 13 जुलाई 2002 की यादें उनके दिमाग में अब भी ताजा हैं। क्रिकेट फैंस उनको नेटवेस्ट ट्रॉफी के लिए आज भी याद करते हैं। 13 जुलाई 2002 को लॉर्ड्स के मैदान पर भारत और इंग्लैंड के बीच नेटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल खेला गया था। इंग्लैंड ने भारत को जीत के लिए 50 ओवर में 326 रन का लक्ष्य दिया था।

भारत के 24 ओवर में 146 रन पर 5 विकेट गिर चुके थे। सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग, दिनेश मोंगिया, राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर पवेलियन पहुंच चुके थे। टीम इंडिया की हार तय लग रही थी। दर्शक स्टेडियम छोड़कर घर जा रहे थे। ऐसे में 7वें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे मोहम्मद कैफ ने युवराज सिंह के साथ मिलकर न सिर्फ शतकीय साझेदारी की, बल्कि अंत तक नॉटआउट रहते 3 गेंद पहले ही टीम इंडिया को चैंपियन बना दिया।

कैफ ने गौरव कपूर के यूट्यूब चैनल के शो ब्रेकफॉस्ट विद चैंपियंस में स्वीकार किया है कि इतनी बढ़िया साझेदारी में युवराज के साथ उनकी दोस्ती ने भी अहम रोल निभाया था। कैफ ने बताया, ‘हम दोनों के बीच इतनी अच्छी अंडरस्टैंडिंग थी। सारी बात खुलकर करते थे। कुछ छिपा नहीं था। हमेशा हैंगआउट करते थे। शुरू से साथ में खेले हैं। रन कैसे लेना है। इतने गैप में बॉल गई। उसको पता है… आंखों-आंखों में…।’

कैफ ने कहा, ‘कई बार हमने कॉल की ही नहीं थी उस मैच में। उसको पता है कि कैफ कैसा खेलता है। मुझे पता है युवराज कैसे खेलता है। उस वक्त अगर उसने ऐसे बॉल लगाया तो लॉउड कॉल भूल जाओ। सिर्फ आंखों-आखों में कई बार बात हुई। वो होती है अंडरस्टैंडिंग। भज्जी के साथ भी काफी वाकये हुए हैं।’

बातों-बातों में कैफ ने बताया कि वे और युवराज 1996 से दोस्त हैं। कैफ ने कहा, ‘भज्जी (हरभजन सिंह) युवराज सिंह को तो मैंने 96 से जानता हूं। 96 में पहली बार भज्जी, युवराज को ट्रेन में मिला था। गोवा में नार्थ जोन और सेंट्रल जोन का मैच था। वे ट्रेन से गोवा जा रहे थे। मैं यूपी से गोवा जा रहा था। हम एक ही ट्रेन में थे।’

कैफ ने कहा, ‘हम ट्रेन के एसी डिब्बे में नहीं थे। हम स्लीपर क्लास में थे। 48 घंटे का सफर था। वहां से हम दोस्त बने।’ कैफ ने कहा, ‘टाइम बहुत होता है ट्रेन में। गोवा पहुंचने के लिए 48 घंटे, दो दिन लगते हैं। समोसे लो, चाय लो। इतना टाइम होता है कि आप सारी कहानी, अंदर-बाहर क्या चल रहा है, आप जान जाते हैं एक दूसरे के बारे में।’

कैफ ने बताया, ‘तब से (1996) युवराज सिंह के साथ बहुत अच्छी अंडरस्टैंडिंग हो गई थी। फिर बाद में हमने भारत के लिए कई सारे मैच खेले। वे पॉइंट पर फील्डिंग करते थे। मैं कवर पर फील्डिंग करता था। तो वहां भी बहुत बातचीत चलती रहती थी। हम सीनियर्स के बारे में भी बातें करते थे। जैसे कभी कहा, ‘गांगुली यार, कप्तानी अच्छी नहीं कर रहे हैं।’ जितना बोलना है वहीं। वे बातें बाहर नहीं जाएं। सब सीनियर्स थे। हम दो यंग थे। ‘कोई गलती हो रही है, यार ये…।’ ‘अनिल भाई शॉर्ट डाल रहे हैं।’ वह ऐसी जगह होती है, जहां बाहर आवाज जाती नहीं है। वहीं खत्म हो जाती है।’