केंद्र की मोदी सरकार में भारत में लीग संस्कृति विकसित करने की तैयारी में जुटी है। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने इच्छुक राष्ट्रीय महासंघों और कॉरपोरेट घरानों के बीच सेतु बनने की कोशिश की है। खेल मंत्रालय मुक्केबाजी और कुश्ती समेत 13 विषयों में फ्रेंचाइजी-आधारित आयोजनों के संचालन की देखरेख में शामिल होगा। हॉकी और कबड्डी में मौजूदा लीग्स के लिए कॉरपोरेट फंडिंग लाने में खेल मंत्रालय पहले से ही मदद कर रहा है।

खेल मंत्रालय अब जल्द ही इस साल साइकिलिंग के साथ-साथ रग्बी में भी लीग की शुरुआत सुनिश्चित करेगा। यही नहीं, बास्केटबॉल, बैडमिंटन, तीरंदाजी, मुक्केबाजी, कुश्ती, व्हाइट वाटर स्पोर्ट्स और पोलो के लिए भी लीग शुरू करने की योजना है। सरकार सुविधाएं बढ़ाने के साथ-साथ राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs) से अधिक जवाबदेही भी चाहती है।

केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने 22 मई 2025 को नई दिल्ली में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा, ‘ये लीग फ्रेंचाइजी बेस्ड होंगी। मंत्रालय खर्च नहीं करेगा, लेकिन जो खर्च करने के लिए तैयार हैं हम उन कॉरपोरेट्स को लाकर सुविधा प्रदान करेंगे। हम सेतु का काम करेंगे, क्योंकि कुछ राष्ट्रीय महासंघों के पास कंपनियों को जोड़ने के लिए साधन नहीं हो सकते हैं। संरचना फ्रेंचाइजी आधारित होगी, लेकिन इसका स्वरूप भिन्न हो सकता है, क्योंकि तीरंदाजी, निशानेबाजी और योगासन जैसे खेल काफी हद तक व्यक्तिगत होते हैं।’

NSFs को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट कराने के लिए खेल मंत्रालय से अब अधिक आवंटन मिलेगा, लेकिन उन्हें हाई परफॉर्मेंस निदेशक और सीईओ नियुक्त करके अपने प्रशासनिक ढांचे को पेशेवर बनाना होगा। अब संशोधित आवंटन के तहत मंत्रालय ने उच्च प्राथमिकता वाले खेलों में राष्ट्रीय चैंपियनशिप कराने के लिए आवंटन 51 लाख रुपये से बढ़ाकर 90 लाख रुपये करने का फैसला किया है जो करीब 80 प्रतिशत बढ़ोतरी है। भारत में होने वाले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स के लिए वित्तीय मदद बढ़ाकर दोगुनी यानी एक करोड़ से दो करोड़ रुपये कर दी गई है।

केंद्रीय खेल मंत्री ने बताया, ‘यह बढ़ोतरी 2036 ओलंपिक के लिए भारत की खुद को मजबूत दावेदार के रूप में पेश करने की आकांक्षा और महंगाई के चलते अभ्यास, बुनियादी ढांचे के विकास, उपकरण खरीदने और खिलाड़ी कल्याण की बढ़ी हुई लागत के कारण की गई है।’ उच्च प्राथमिकता वाले खेलों में एथलेटिक्स, बैडमिंटन, निशानेबाजी, हॉकी, टेनिस, भारोत्तोलन, कुश्ती, तीरंदाजी और मुक्केबाजी हैं।

प्राथमिकता वाले खेलों के लिए आवंटन 75 लाख रुपये है। हॉकी में भारत इस साल एशिया कप और जूनियर विश्व कप की मेजबानी करने वाला है। खेल मंत्रालय ने मुख्य राष्ट्रीय कोचेस की सैलरी पांच लाख से बढ़ाकर 7.5 लाख रुपये प्रतिमाह करने का फैसला किया है। बाकी कोचेस को तीन लाख रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा जो पहले दो लाख रुपये था। वित्तीय मदद बढ़ाने के साथ-साथ मंत्रालय ने सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों को अपने सालाना बजट का कम से कम 20 प्रतिशत जमीनी स्तर पर विकास के लिए खर्च करने के निर्देश दिये हैं।

उच्च प्राथमिकता और प्राथमिकता वाले खेलों में महासंघों को देश में सीनियर और जूनियर स्तर पर शीर्ष प्रतिभाओं को तलाशने के लिए कहा गया है। मांडविया ने कहा, ‘ये खिलाड़ी मान्यता प्राप्त अकादमियों में अभ्यास करेंगे और इनका चयन महासंघों द्वारा पारदर्शी प्रक्रिया के तहत किया जाएगा।’ संभावितों को प्रतिमाह 10000 रुपये खुराक के लिए भत्ता दिया जाएगा। मांडविया ने राष्ट्रीय खेल महासंघों के संचालन को पेशेवर बनाने पर जोर देते हुए कहा कि दस करोड़ और अधिक के सालाना बजट वाले महासंघों को हाई परफार्मेंस निदेशक की नियुक्ति करनी होगी।

मनसुख मांडविया ने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करने में मदद करेंगे कि वे सीईओ और मैनेजर्स की नियुक्ति पर इस आवंटन का दस प्रतिशत खर्च करें। भारत में खेलों का जवाबदेह और प्रदर्शन केंद्रित इकोसिस्टम तैयार करने के लिए ये सुधार किये जा रहे हैं चूंकि भारत का दीर्घकालिन लक्ष्य वैश्विक खेल महाशक्ति बनना और 2036 ओलंपिक की मेजबानी है।’