मीराबाई चानू ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली देश की पहली वेटलिफ्टर हैं। रियो ओलंपिक में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। वह फाउल कर बैठी थीं। टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने के बाद वह अब रियो की कहानी को काफी पीछे छोड़ आईं हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान मीराबाई और उनके कोच विजय शर्मा ने कई विषयों पर चर्चा की।
बातचीत में मीराबाई ने बताया कि रियो ओलंपिक की असफलता के बाद उन्हें रात में नींद नहीं आती थी। अब टोक्यो में पदक जीतने के बाद भी नींद नहीं आ रही है। इस दौरान कोच ने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले 119 किलोग्राम का वजन आसानी से उठाने वाली मीराबाई आखिर प्रतियोगिता के दौरान 117 किलोग्राम वजन उठाने से कैसे चूक गईं। यही नहीं, शायद इस गलती के कारण उन्हें ओलंपिक में गोल्ड की बजाय सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा।
बातचीत के दौरान मीराबाई ने यह भी बताया कि 115 किलो क्लीन एंड जर्क उठाने से कहीं कठिन है 87 किलो स्नैच उठाना। कोच विजय शर्मा ने बताया कि मीराबाई की हर लिफ्ट के दौरान उनका ब्लडप्रेशर बढ़ जाता था। टोक्यो में जब मीराबाई प्रतियोगिता के लिए उतरीं तब विजय शर्मा की आंखों के सामने उनका रियो का प्रदर्शन नाचने लगा था। इस कारण वह खुद पर बहुत दबाव महसूस कर रहे थे।
विजय शर्मा ने कहा, ‘भले ही रियो के बाद हमने कुछ बेहतरीन प्रदर्शन किए हों, लेकिन मनोवैज्ञानिक रूप से, हमेशा यह महसूस होता है कि यह ओलंपिक है। आशा है कि कुछ भी गलत नहीं होगा। 84, 87 किग्रा की शुरुआत के पीछे यही विचार था, ताकि पदक पक्का किया जा सके। जब स्नैच समाप्त हुआ, तो यह सोचकर हमने थोड़ा रिलैक्स किया कि अभी हम प्रतियोगिता में हैं। हम कर लेंगे।’
मीराबाई ने बताया कि रियो ओलंपिक के बाद उन्होंने भविष्य को लेकर अपनी मां से चर्चा की थी। मीराबाई ने कहा, ‘वह मेरी पिलर हैं। उन्हें खेल पसंद है। परिवार ने मुझे एक खिलाड़ी बनने का सपना देखा है। शुरुआती दिनों में अच्छी डाइट लेने में दिक्कत होती थी। मेरी मां ने कोशिश की। उन्होंने मुझसे कहा, ‘पीछे मत देखो, जो कुछ भी आता है, हम तुम्हारा समर्थन करेंगे।’ उन्होंने एक बार कहा था, ‘मैं तुम्हें ठीक से खाना नहीं खिला सकती, लेकिन मैं तुम्हें शीर्ष पर ले जाने की पूरी कोशिश करूंगी।’
यह पूछने पर कि क्या अब टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने के बाद नींद आती है, मीराबाई ने हंसते हुए कहा, ‘अब खुशी के मारे नींद नहीं आती। इतने वर्षों तक हमने सिर्फ इसी दिन का इंतजार किया।’ क्या अब ट्रेनिंग मिस करती हैं? पेरिस ओलंपिक के आगे क्या चुनौतियों होंगी? के सवाल पर वह बोलीं, ‘हां मुझे इसकी (ट्रेनिंग) बहुत याद आती है। मैं प्रशिक्षण पर वापस जाना चाहती हूं।’
बातचीत के दौरान कोच विजय शर्मा ने बताया कि टोक्यो में प्रतियोगिता के एक दिन पहले मीराबाई को मेंस्ट्रुल क्रैम्प्स (menstrual cramps) की समस्या हो गई थी। विजय शर्मा ने बताया, ‘मीराबाई को पहले भी यह परेशानी हो चुकी थी, इसलिए इस बार हम सतर्क थे। मीराबाई एक डॉक्टर के पहले से संपर्क में थीं। हमने उनसे जूम पर चैट की। हम एहतियाती दवाएं भी टोक्यो ले गए थे।’
हालांकि, उन्होंने कहा, ‘बात यह है कि आप इन चीजों के साथ 100% सुनिश्चित नहीं हो सकते और यही हुआ। मीराबाई 117 किग्रा भार उठाने से चूक गईं, जबकि उन्होंने कुछ दिन पहले ही 119 किग्रा भार उठाया था। अगर वह (मासिक धर्म में ऐंठन) नहीं होता, तो शायद वह और भी बेहतर करतीं। लेकिन यह खेल का हिस्सा है, आपको हर चीज के लिए तैयार रहना होगा। लेकिन हां, यह प्रदर्शन को प्रभावित करता है।’
मीराबाई ने टोक्यो में महिलाओं के 49 किग्रा भार वर्ग में 202 किलोग्राम (85 किलो स्नैच और 115 क्लीन एंड जर्क) का वजन उठाकर रजत पदक जीता था। वह क्लीन एंड जर्क में अपने आखिरी प्रयास में 117 और स्नैच में 89 किलोग्राम का भार उठाने में नाकाम रही थीं।