दो बार की ओलंपिक पदक विजेता निशानेबाज मनु भाकर का नाम मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार की अनुशंसा सूची से गायब होने से हंगामा मच गया है। इस मामले में खेल मंत्रालय बैकफुट पर नजर आ रहा है। हालांकि, इस मामले में विवाद मचने के बाद खेल मंत्रालय मनु भाकर को खेल-रत्न देने पर विचार कर रहा है। खेल मंत्रालय राष्ट्रीय खेल दिवस पुरस्कार योजना के प्रावधानों में निहित अपनी कार्यकारी शक्तियों का इस्तेमाल करके मनु भाकरका नाम देश के सर्वोच्च खेल सम्मान के लिए नामांकित करने पर विचार कर रहा है। यह दावा टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में किया है।

मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक गेम्स 2024 में बैक-टू-बैक पदक कांस्य जीतकर इतिहास रचा था। मनु ने महिलाओं की व्यक्तिगत 10 मीटर एयर पिस्टल और सरबजोत सिंह के साथ मिक्स्ड टीम इवेंट में कांस्य पदक जीता था। हरियाणा के झज्जर जिले की रहने वाली 22 साल की मनु भारत की आजादी के बाद से ओलंपिक खेलों के एक ही संस्करण में ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय बनी थीं।

समिति ने पेरिस में भारतीय पुरुष हॉकी टीम को कांस्य पदक दिलाने वाले शीर्ष ड्रैग-फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह और पेरिस पैरालंपिक में एशियाई रिकॉर्ड के साथ पुरुषों की ऊंची कूद टी64 वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाले पैरा-एथलीट प्रवीण कुमार को खेल रत्न के लिए अनुशंसित किया। अधिकारी भूल गए कि अतीत में, ओलंपिक पदक विजेताओं को ग्रीष्मकालीन खेलों में अपने सफल अभियान के बाद देश लौटने पर खेल रत्न से सम्मानित किया जाता था। 2021 में, टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों के सभी पदक विजेता (जिन्हें अब तक खेल रत्न से सम्मानित नहीं किया गया था) को सरकार द्वारा सम्मान से सम्मानित किया गया। अजीब बात यह है कि मनु जैसी एथलीट के मामले में यह नियम लागू नहीं किया गया।

खेल मंत्रालय के अधिकारियों ने दावा किया कि निशानेबाज ने पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं किया था, जबकि मनु के पिता राम भाकर ने कहा कि उसने आवेदन किया था। मुद्दा यह है कि भले ही मनु ने पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं किया था, लेकिन चयन पैनल ने वर्षों से एक निशानेबाज के रूप में उनकी शानदार उपलब्धियों का संज्ञान क्यों नहीं लिया? अब पता चला है कि मंत्रालय ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार योजना’ के अनुच्छेद 5.1 और 5.2 को लागू कर सकता है।

इस अनुच्छेद में कहा गया है: ‘पुरस्कार दिशानिर्देशों के अनुसार पात्र खिलाड़ियों को अधिकारियों/व्यक्तियों की सिफारिश के बिना स्वयं आवेदन करने की अनुमति होगी। उपरोक्त के बावजूद, सरकार योग्य मामलों में दो नामांकन तक का अधिकार सुरक्षित रखती है।’ सूत्रों के मुताबिक, खेल मंत्री मनसुख मंडाविया बुधवार को खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद पुरस्कारों के नामों की जांच कर सूची को अपनी मंजूरी दे सकते हैं। यात्रा पर गए केंद्रीय मंत्री को मनु भाकर को सूची से बाहर होने से जुड़े विवाद के बारे में पहले ही जानकारी दे दी गई है।

NRAI ने खेल मंत्रालय से किया संपर्क

इस मामले में निशानेबाजी महासंघ ने भी खेल मंत्रालय से संपर्क किया है। इस योजना के तहत आवेदकों को पुरस्कारों के लिए मंत्रालय के पोर्टल पर खुद आवेदन करना होगा। संबंधित राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) भी पात्र खिलाड़ियों के नाम मंत्रालय को ऑनलाइन भेजकर विवरण भर सकता है। भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) ने मनु को खेल रत्न के लिए नामित नहीं किया, जबकि आदर्श स्थिति में ऐसा होना चाहिए था।

एक सूत्र के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि महासंघ ने अब मनु का नाम शामिल करने के अनुरोध के साथ मंत्रालय से संपर्क किया है। सूत्र ने कहा, ‘मनु ने कहा कि उसने पोर्टल पर आवेदन किया था। अगर ऐसा था, तो समिति ने उसके नाम पर विचार किया होगा। स्थिति जो भी हो, महासंघ ने मंत्रालय से संपर्क किया है और अधिकारियों से उसका नाम शामिल करने का अनुरोध किया है।’

मनु ने पद्म भूषण और पद्म श्री के लिए आवेदन किया

मनु का नाम खेल रत्न पुरस्कार विजेताओं की अंतिम सूची में होगा या नहीं, यह अभी देखा जाना बाकी है, लेकिन यह पुष्टि की जा सकती है कि उन्होंने देश के तीसरे और चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों- पद्म भूषण और पद्मश्री के लिए भी आवेदन किया है। उन्होंने 15 सितंबर को पद्म पुरस्कार पोर्टल पर आवेदन किया था।

पिता ने खेल मंत्रालय और समिति की आलोचना की

मनु के पिता ने सोमवार को मंत्रालय और चयन समिति की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी बेटी की उपलब्धियों को नजरअंदाज किया गया। मनु के पिता के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया, ‘मुझे उसे निशानेबाजी के खेल में डालने का अफसोस है। मुझे उसे क्रिकेटर बनाना चाहिए था। तब, सभी पुरस्कार और प्रशंसाएं उसे मिलतीं। उसने एक ही संस्करण में दो ओलंपिक पदक जीते, ऐसा कभी किसी ने नहीं किया। आप मेरी बेटी से देश के लिए और क्या उम्मीद कर सकते हैं? सरकार को उसके प्रयासों को मान्यता देनी चाहिए। मैंने मनु से बात की और वह इन सब बातों से निराश थी। उसने मुझसे कहा, ‘मुझे ओलंपिक में नहीं जाना चाहिए था और देश के लिए पदक नहीं जीतना चाहिए था। वास्तव में, मुझे खिलाड़ी नहीं बनना चाहिए था।’

पदकों की भरमार को नजरअंदाज किया गया

खेल रत्न के लिए आवेदन आमंत्रित करने वाले 24 अक्तूबर 2024 के सरकारी नोट में कहा गया था: ‘खेल रत्न पुरस्कार के लिए पात्र होने के लिए, पुरस्कार दिए जाने वाले वर्ष से ठीक पहले चार वर्षों की अवधि में किसी खिलाड़ी द्वारा खेल के क्षेत्र में किए गए शानदार और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन को पुरस्कार के लिए माना जाएगा, जैसे ओलंपिक/पैरालंपिक/एशियाई/राष्ट्रमंडल खेल/चैंपियनशिप/विश्व कप/विश्व चैंपियनशिप और समकक्ष मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट। तदनुसार 1 जनवरी 2020 से ओलंपिक/पैरालंपिक खेल 2024 के समापन तक की अवधि के लिए खेल उपलब्धियों पर विचार किया जाएगा।’

इस चार साल के पुरस्कार चक्र के दौरान, मनु ने कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पदक जीते, जिनमें पेरिस में दो ओलंपिक कांस्य पदक सबसे ऊपर हैं। इस दौरान मनु ने शूटिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप, वर्ल्ड कप, एशियन गेम्स, एशियन चैंपियनशिप, जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप, जूनियर वर्ल्ड कप और वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के अलग-अलग संस्करणों में 17 स्वर्ण, 6 रजत और 5 कांस्य पदक जीते।

अन्य ओलंपिक पदक विजेता भी खेल रत्न सूची में नहीं

हरमनप्रीत सिंह को छोड़कर, समिति की ओर से खेल रत्न के लिए एक भी पेरिस ओलंपिक पदक विजेता की सिफारिश नहीं की गई। यहां तक ​​कि कांस्य जीतने वाली निशानेबाजी जोड़ी स्वप्निल कुसाले और सरबजोत सिंह और पहलवान अमन सेहरावत को भी पुरस्कार के लिए नहीं चुना गया। इसके बजाय उनके नाम की दूसरे सबसे बड़े खेल सम्मान अर्जुन पुरस्कार के लिए सिफारिश की गई। साल 2021 में, टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक के सभी पदक विजेताओं (स्वर्ण, रजत और कांस्य) को मंत्रालय ने पुरस्कृत किया था।

बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मनु भाकर ने इस अवॉर्ड के लिए नाम नहीं भेजा था। हालांकि, मनु भाकर के पिता ने मीडिया रिपोर्ट्स को गलत ठहराया। उनका कहना है कि मनु का नाम अवॉर्ड के लिए दिया गया था। पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ें