कॉमनवेल्थ गेम्स-2018 में भारतीय महिला वेटलिफ्टर मीराबाई चानू और संजीता चानू ने देश को गोल्ड दिलाया। इसके बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने दोनों को 15-15 लाख रुपये देने की घोषोणा कर दी है। संजीत ने 2006 में इस खेल को चुना और वह एक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी बनीं लेकिन मणिपुर सरकार ने उन्हें महज पुलिस कांस्टेबल की नौकरी दी। इस कदम से चानू के परिवार के मान-सम्मान को ठेस पहुंचा। संजीता अभी रेलवे में नौकरी कर रही है। वह पिछले वर्ष विवादों में भी रहीं। उन्होंने अर्जुन अवार्ड ना दिए जाने पर अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

संजीता ने 53 किलोग्राम भार वर्ग में भारत के लिए शुक्रवार को स्वर्ण पदक जीता। चानू ने कुल 192 किलोग्राम का वजन उठाया। उन्होंने स्नैच में 84 किलोग्राम भार और क्लीन एंड जर्क में 108 किलोग्राम का भार उठाया। यह राष्ट्रमंडल खेलों में एक रिकॉर्ड है। स्पर्धा का रजत पापुआ न्यू गिनी की लोआ डिका ताउ को मिला जिनका कुल स्कोर 182 किलोग्राम रहा। कनाडा की रचेल लेब्लांक-बाजीनेत को 181 किलोग्राम के कुल योग के साथ कांस्य से संतोष करना पड़ा।

परिवार ने किया प्रोत्साहित: गरीब परिवार से होने के कारण संजीता के खान-पान का ध्यान रखना हमारे लिए बहुत मुश्किल था। संजीता ने कई बार अपने माता-पिता से कहा कि क्या वह खेल में करियर बनाने का सपना छोड़ दे? लेकिन परिवार ने उन्हें हमेशा वह करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसमें उसकी रुचि हो।

संजीता के अलावा साइखोम मीराबाई चानू ने राष्ट्रमंडल खेलों के पहले दिन भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। चानू ने खेलों के पहले दिन महिलाओं की 48 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा में सोने का तमगा हासिल किया। चानू ने स्नैच में 86 का स्कोर किया और क्लीन एंड जर्क में 110 स्कोर करते हुए कुल 196 स्कोर के साथ स्वर्ण अपने नाम किया। स्नैच और क्लीन एंड जर्क दोनों में चानू का यह व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। उन्होंने साथ ही दोनों में राष्ट्रमंडल खेल का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है।