मनीष कुमार जोशी

खेलो इंडिया स्कूल खेल और खेलो इंडिया युवा खेलों की कामयाबी के बाद भारत सरकार ने खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेल आयोजित किए। इस प्रतियोगिता में 17 खेलों की विभिन्न स्पर्धाओं में 150 विश्वविद्यालयों के 3500 से अधिक युवा एथलीटों ने भाग लिया। यह भारतीय इतिहास में पहला विश्वविद्यालय खेल है। सरकार और खेल के दिग्गजों को उम्मीद है कि इस तरह के आयोजन से ओलंपिक जैसी वैश्विक प्रतियोगिताओं में भारत के पदकों की संख्या बढ़ेगी। इस प्रतियोगिता में आधिकारी के तौर पर भाग ले रहे तीरंदाजी प्रशिक्षक अनिल जोशी ने बताया कि इस तरह के आयोजन से भारत के युवाओं को प्रतिभा दिखाने और आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

गौरतलब है, इससे पहले विश्वविद्यालय अपने स्तर पर अलग-अलग खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करते थे। हालांकि वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स काफी पहले से होते रहे हैं और भारतीय खिलाड़ी इसमें भाग भी लेते रहे हैं। दुती चंद भी इसमें पदक जीत चुकी हैं। उन्होंने इस बार खेलो इंडिया विश्व विद्यालय खेल के 100 मीटर फर्राटा दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। वे इन खेलों का सबसे बड़ा आकर्षण थीं। इस आयोजन ने विश्वविद्यालय स्तर के खिलाड़ियों के लिए माहौल बदला।

तीरंदाजी कोच अनिल जोशी ने बताया कि इस खेल में राष्ट्रीय स्तर के कम टूर्नामेंट होते हैं जिसमें खिलाड़ियों को अवसर मिलता है। खेलो इंडिया ने देश के युवा खिलाड़ियों को एक मंच दिया। आने वाले समय में यह खिलाड़ियों के लिए बड़ा मंच तैयार करेगा। पहला आयोजन ही इतना शानदार है कि हमें लग रहा है किसी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग ले रहे हैं। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय की ओर से पहली बार भाग ले रहे हर्षित स्वामी ने बताया कि उन्हें यहां खेलकर बेहतर करने की प्रेरणा मिली। ऐसे ही अन्य खिलाड़ियों ने भी खेलो इंडिया को भविष्य का खिलाड़ी तैयार करने के लिए उम्दा मंच बताया है।