जापान अपनी उम्दा तकनीक और कर्मठता के लिए जाना जाता है। उसने अब तक कई त्रासदियों का सामना किया और उससे उबरा भी है। ओलंपिक 2020 की मेजबानी जब तोक्यो को सौंपी गई तो जापान में रहने वाले लोगों को लिए यह किसी पर्व की घोषणा की तरह ही था। 2013 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने जापान को मेजबान बनाया और तब से ही वह इसकी तैयारी में जुट गया। जनवरी 2020 तक उसने अपनी तैयारी लगभग पूरी भी कर ली। भीषण गर्मी से बचने के लिए तकनीक का इस्तेमाल हो या खेल गांव बनाने, सबमें उसने सौ फीसद नंबर हासिल किए। लेकिन अचानक ही कोविड 19 महामारी के कारण ओलंपिक को स्थगित करना पड़ा और अब इसका आयोजन अगले साल किया जाना है। हालांकि इससे जापान को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा। साथ ही इसे जुड़े हितधारकों को भी खामियाजा भुगतना पड़ा है।
ओलंपिक के आयोजन के लिए शुरुआती बजट में संशोधन के साथ जापान ने इसे 12.6 बिलियन डॉलर किया। हालांकि स्थानीय अखबारों का कहना है कि इसके आयोजन में निर्धारित बजट से ज्यादा खर्च किया गया है। 2021 में इसके आयोजन से अब यह बजट और बढ़ जाएगा। साथ ही कई स्तर पर जापान को नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
एक शोध रपट की माने तो जापान के ओलंपिक आयोजन समिति को खेलों के महाकुंभ के स्थगित होने से लगभग 600 अरब येन का नुकसान होगा। वहीं तोक्यो शहर और हितधारकों का 597 अरब येन का नुकसान होगा। रपट के मुताबिक खेलों से स्थानीय व्यापारियों को जो फायदा होने वाला था उसमें लगभग साढ़े तीन सौ अरब की कमी आएगी। वहीं जापानी सरकार को 150 अरब येन का घाटा होगा।
दूसरी तरफ इतने बड़े आयोजन के प्रसारण के लिए भी भव्य इंतजाम किए गए थे। स्थगन के बाद स्थानीय प्रायोजक और प्रसारकों को लगभग 900 मिलियन डॉलर का झटका लगा है। राष्ट्रीय प्रसारक को भी लगभग 1200 मिलियन का नुकसान उठाने के लिए तैयार रहना होगा।
किसी भी टूर्नामेंट के आयोजन के साथ ही उसके लिए बीमा का भी इंतजाम किया जाता है। इससे किसी भी विपरीत समय में आयोजनकर्ता के नुकसान की कुछ हद तक भरपाई यहीं से होती है। जाहिर है कि ओलंपिक के लिए भी इस योजना को अमलीजामा पहनाया गया होगा। रपट के मुताबिक 2020 तोक्यो ओलंपिक के बीमा प्रदाता कंपनियों को भी नकसाने उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए।
आंकड़ों की बात करें तो प्रसारण अधिकार और प्रायोजकों को दिए गए बीमा से कंपनी को लगभग दो हजार मिलियन डॉलर का नुकसान होगा। वहीं, एथलीटों के रहने व उनके स्टेडियम तक की व्यवस्था पर किए गए बीमा से कंपनी को लघबग 600 मिलियन डॉलर का नुकसान होगा।

