अगर कोई खिलाड़ी ओलंपिक खेलों में देश के पदकों के सूने को खत्म करके कांस्य पदक जीते तो उससे यह उम्मीद की जाती है कि वह अगले ओलंपिक में स्वर्ण पदक जरूर जीतेगा। लेकिन वही खिलाड़ी अगर इससे अगले ओलंपिक क्वॉलिफाइंग मुकाबले के ट्रायल में ही किसी जूनियर स्तर के खिलाड़ी से हार जाए तो उसे क्या कहेंगे। ऐसा साक्षी मलिक के मामले में हुआ जो एशियाई चैंपियनशिप, रोम में वर्ल्ड रैंकिंग टूर्नामेंट और पहले ओलंपिक क्वॉलिफाइंग मुकाबले के ट्रायल में जूनियर स्तर की खिलाड़ी सोनम से हार गर्इं।
इतना ही नहीं, दो साल पहले बुडापेस्ट में विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पूजा ढांडा भी अंशू मलिक के रूप में एक अन्य जूनियर खिलाड़ी से हार गर्इं। यह वही पूजा ढांडा हैं जिन्होंने प्रो रेसलिंग लीग में ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियन अमेरिका की हेलन मारूलिस, विश्व चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता नाइजीरिया की ओडुनायो और रियो ओलंपिक की पदक विजेता ट्यूनीशिया की मारवा आमरी को हराकर सनसनी फैला दी थी। एशियाई अंडर-23 की चैंपियन दिव्या काकरान भी उस अनुभवी अनिता को इन ट्रायल में हराने में कामयाब हो गर्इं जिनसे वे जालंधर में हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में हारी थीं। पिछले साल ही अंजू ने ललिता सहरावत को राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कड़ी टक्कर दी और पीडब्लूएल में तो उन्होंने एशियाई अंडर-23 की रजत पदक विजेता ऋतु फोगाट को हराकर बड़ा उलटफेर किया था।
इन चारों परिणामों से जाहिर है कि महिला कुश्ती में राष्ट्रीय स्तर पर ही कड़ी प्रतियोगिता देखने को मिल रही है। खिलाड़ी कैडेट और जूनियर स्तर पर ऐसा धमाकेदार प्रदर्शन कर रहे हैं कि सालोंं से जमे-जमाए खिलाड़ी भी उनसे सहमने लगे हैं। साक्षी उस सोनम से हारीं जो दो बार विश्व कैडेट कुश्ती का खिताब जीत चुकी हैं। साक्षी के खिलाफ चार अंक की तकनीक ने सोनम को जिता दिया।
मनोज जोशी
