भारतीय टीम के स्टार तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को लेकर हाल ही में वर्कलोड मैनेजमेंट पर एक नई बहस छिड़ गई है। पूर्व ऑलराउंडर इरफान पठान ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और एनसीए (NCA) की नीति की सराहना तो की, लेकिन साथ ही ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस का उदाहरण देते हुए बड़ा सवाल भी खड़ा किया।

इरफान पठान ने सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क द्वारा आयोजित चर्चा में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि तेज गेंदबाजों के करियर को लंबा बनाए रखने और चोट से बचाने के लिए वर्कलोड मैनेजमेंट बेहद जरूरी है, लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि इसे सही समय पर अपनाया जाए। उन्होंने साफ कहा कि अगर टीम किसी बड़ी सीरीज जैसे एशेज या भारत-इंग्लैंड टेस्ट मैचों में है तो वहां प्रमुख गेंदबाजों का लगातार खेलना जरूरी है।

बीसीसीआई और एनसीए का ढांचा बेहतरीन: इरफान पठान

इरफान पठान ने कहा, ‘वर्कलोड के बारे में इस पर काफी चर्चा हुई है। मुझे लगता है कि कुछ महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं, जसप्रीत बुमराह हों या कोई और तेज गेंदबाज, आपको सबके वर्कलोड का प्रबंधन करना चाहिए। आपको भी ऐसा करना चाहिए और बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) और एनसीए (राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी) का ढांचा बेहतरीन है। वर्कलोड का प्रबंधन बहुत अच्छी तरह से किया गया है।’

उन्होंने कहा, ‘मैं बस एक बात कहना चाहता हूं, आपने हाल ही में सुना होगा कि पैट कमिंस एशेज के लिए अपने वर्कलोड मैनेजमेंट करने के लिए कई मैच छोड़ रहे हैं। लेकिन क्या कमिंस एशेज के दौरान अपने कार्यभार का प्रबंधन करेंगे? मेरा सवाल बस यही है। कार्यभार का प्रबंधन जरूर करें। SENA देशों में जाकर जीतना मुश्किल होता है। वहां आपके मुख्य गेंदबाजों को ज्यादा से ज्यादा मैच खेलने चाहिए। किसी भी सीरीज के दौरान, एक शीर्ष सीरीज में, अगर आप वर्कलोड मैनेजमेंट की कोशिश करेंगे तो आपको परिणाम नहीं मिलेंगे।’

बुमराह बनाम कमिंस

इरफान पठान ने इस बहस को और मजबूत करते हुए बुमराह और कमिंस की तुलना की। उन्होंने याद दिलाया कि हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ ऐतिहासिक तेंदुलकर-एंडरसन सीरीज में बुमराह को दो टेस्ट मैचों में आराम दिया गया था। दिलचस्प बात यह रही कि उन दोनों मैचों में भारत ने शानदार जीत दर्ज की और सीरीज 2-2 से बराबरी पर खत्म हुई।

हालांकि, इरफान का मानना है कि अगर टीम अपने अहम गेंदबाज को लगातार आराम देती है, तो बड़े टूर्नामेंट्स और सीरीज जीतना मुश्किल हो सकता है। उनके मुताबिक, वर्कलोड मैनेजमेंट जरूरी है लेकिन उसका सही इस्तेमाल तभी है जब वह सही मौके पर हो।

कमिंस की चोट और ऑस्ट्रेलिया की चिंता

पैट कमिंस की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में पुष्टि की कि कमिंस को पीठ की चोट लगी है और इसी कारण वह न्यूजीलैंड और भारत के खिलाफ होने वाली व्हाइट बॉल सीरीज से बाहर रहेंगे। ऑस्ट्रेलियाई टीम अक्टूबर में न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन टी20 मैच खेलेगी। इसके बाद भारतीय ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेगी, जहां तीन वनडे और पांच टी20 मैच होंगे। इसके बाद इंग्लैंड साल के अंत में एशेज सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया जाएगा। ऐसे में कमिंस की चोट ने ऑस्ट्रेलिया की तैयारियों को बड़ा झटका दिया है।

सही संतुलन ही कुंजी

वर्कलोड मैनेजमेंट पर बहस नई नहीं है। आधुनिक क्रिकेट में लगातार मैच और व्यस्त कैलेंडर के कारण खिलाड़ियों को चोट से बचाना बेहद कठिन हो गया है। इरफान पठान का कहना है कि भारत ने इस दिशा में अच्छी योजना बनाई है और बीसीसीआई-एनसीए अब खिलाड़ियों की फिटनेस पर नजर रखते हैं। लेकिन सवाल यह है कि बड़ी सीरीज के दौरान टीम अपने स्टार खिलाड़ियों के बिना मैदान पर कितना मजबूत रह पाएगी?

पठान के शब्दों में, ‘वर्कलोड मैनेजमेंट जरूरी है, लेकिन यह तभी कारगर है जब इसे सही समय पर अपनाया जाए। बड़ी सीरीज में आपके मुख्य गेंदबाज जितने ज्यादा मैच खेलेंगे, उतना ही अच्छा परिणाम टीम के पक्ष में आएगा।’ ऐसे में अब यह बहस शुरू हो गई है कि वर्कलोड मैनेजमेंट को लेकर भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसी क्रिकेट महाशक्तियों की रणनीति कितनी अलग और कितनी असरदार है। एशेज से पहले कमिंस की चोट और बुमराह का आराम- दोनों ही मामले इस बात को साबित करते हैं कि आधुनिक क्रिकेट में फिटनेस और रणनीति का संतुलन साधना किसी भी टीम के लिए आसान नहीं है। ‘संजू सैमसन ही हैं राशिद खान का असली तोड़, तिलक वर्मा को अभी इंतजार करना होगा’, मोहम्मद कैफ ने हल की टीम इंडिया की सबसे बड़ी दुविधा?