मुश्किलों का सामना कर रही इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) की संचालन परिषद की रविवार को यहां बैठक होगी जिसमें चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स के निलंबन के नतीजों पर चर्चा के अलावा इस टी20 टूर्नामेंट के लिए नया खाका भी तैयार किया जाएगा। समझा जाता है कि राजीव शुक्ला की अगुआई वाली आइपीएल संचालन परिषद इस बैठक में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अगुआई वाली तीन सदस्यीय समिति के कड़े फैसलों के आलोक में विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा करेगी।
दो बार की आइपीएल चैंपियन चेन्नई सुपरकिंग्स और 2008 में पहले आइपीएल चैंपियन राजस्थान रॉयल्स को उनके अधिकारियों गुरुनाथ मयप्पन और राज कुंद्रा के सट्टेबाजी से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने के कारण दो साल के लिए इस टी20 लीग से निलंबित करने की सजा दी गई है। सीएसके के पूर्व टीम प्रिंसिपल मेयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के सहमालिक कुंद्रा को सट्टेबाजी में शामिल होने और आइपीएल व खेल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए आजीवन निलंबित कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जनवरी में न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति का गठन किया था जिसे मेयप्पन, कुंद्रा के अलावा दो आइपीएल फ्रेंचाइजियों सीएसके के मालिक इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड और राजस्थान रायल्स के मालिक जयपुर आइपीएल के खिलाफ सजा तय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
आइपीएल संचालन परिषद को अब बीसीसीआइ के स्वामित्व वाली इस लुभावनी टी20 लीग के लिए नई रणनीति तैयार करनी होगी जो पिछले कुछ समय से आलोचनाओं का शिकार रही है। संचालन परिषद को इसके अलावा कई कानूनी मुद्दों पर भी माथापच्ची करनी होगी जिसमें हितों के टकराव का मामला भी शामिल है। इसके सामने 2008 में शुरू हुई इस लीग की गिरती प्रतिष्ठा को बचाने के लिए कुछ विकल्प हैं।
इस बीच शुक्ला ने फैसले के बाद मोर्चा संभालते हुए बयान दिया कि आइपीएल अब भी ‘ठोस’ टूर्नामेंट है और अगले साल न्यूनतम आठ टीमों के साथ यह और मजबूत वापसी करेगा। शुक्ला ने कहा कि हम आइपीएल को लेकर हमेशा सोचते हैं और मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि अगला टूर्नामेंट बेहद सफल होगा। आइपीएल एक ठोस उत्पाद है और इस फैसले (टीमों के निलंबन) से एक उत्पाद के रूप में आइपीएल को प्रभावित नहीं होना चाहिए। हमारा विचार टूर्नामेंट को उसके पूरे प्रारूप में आयोजित करने का है जिसमें कम से कम आठ टीमें होंगी। हम छह टीमों के साथ टूर्नामेंट का आयोजन नहीं कर सकते हैं।
शुक्ला ने कहा कि आइपीएल के लिए एक विकल्प यह भी खुला है कि दो निलंबित टीमों को बीसीसीआइ के नियंत्रण में चलाया जाए। उन्होंने कहा कि कई विकल्प मौजूद है और हम इन सब पर रविवार को बैठक में चर्चा करेंगे। एक विकल्प यह है कि बीसीसीआइ दोनों टीमों का संचालन करे और जिम्मदार व्यक्तियों को इस काम के लिए नियुक्त किया जाए। हालांकि इस तरह की चिंताएं जताई जा रही हैं कि अगर यह कदम उठाया गया तो एक बार फिर हितों के टकराव का मामला सामने आएगा।
शुक्ला ने कहा कि हम बैठक में उनकी (लोढ़ा समिति की) रिपोर्ट पर विचार करेंगे। इसके बाद उप समिति का गठन किया जाएगा जो रिपोर्ट का अध्ययन करेगी। इस आधार पर हम फैसला करेंगे कि रिपोर्ट को कैसे लागू किया जाएगा।
न्यायामूर्ति लोढ़ा ने भी फैसला सुनाने के एक दिन बाद कहा था कि बीसीसीआइ आइपीएल फ्रेंचाइजियों को रद्द करने के लिए स्वंतत्र है। बीसीसीआइ के पास यह विकल्प भी होगा कि वह दोनों फ्रेंचाइजियों को बर्खास्त करे और निविदा प्रक्रिया के जरिए दो नई फ्रेंचाइजियां लेकर आए।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2013 के आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण की जांच के लिए नियुक्त समिति के प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मुद्गल ने एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में एक अन्य सुझाव दिया है। उनका मानना है कि दो नई फ्रेंचाइजियों (वैध निविदा प्रक्रिया के जरिए) को जोड़ा जा सकता है और वे निलंबित सीएसके और राजस्थान रॉयल्स से खिलाड़ी उधार (फुटबॉल शैली में) पर ले सकते हैं जिससे कि दो साल के निलंबन के बाद इन टीमों के लौटने पर ये खिलाड़ी अपनी मूल टीम में जा सकें।
हालांकि यहां बड़ा सवाल यह है कि सीएसके और राजस्थान रॉयल्स के बड़े खिलाड़ियों के अपनी मूल टीमों में लौटने पर नई फ्रेंचाइजियों के टीम संयोजन का क्या होगा।
बैठक में नहीं होंगे डालमिया
बीसीसीआइ अध्यक्ष जगमोहन डालमिया बीमार होने के कारण रविवार को आइपीएल संचालन परिषद की महत्त्वपूर्ण बैठक से बाहर रह सकते हैं। एक सूत्र ने बताया कि डालमिया बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। आइपीएल अध्यक्ष राजीव शुक्ला उनसे मिल चुके हैं और बैठक बुलाने वाले सचिव अनुराग ठाकुर भी उनके संपर्क में हैं।
वैसे अटकलें यह भी हैं कि डालमिया अपने स्वास्थ्य को लेकर तमाम अटकलबाजियों को विराम देने के लिए बैठक में आ भी सकते हैं। ऐसी अटकलें हैं बोर्ड को सचिव चला रहे हैं।