राजेश राय
मैं गलत समय पैदा हुआ था….. ये शब्द देश के उस महान बाएं हाथ के स्पिनर राजिंदर गोयल के थे जिन्हें भारत के लिए कभी खेलने का मौका नहीं मिल पाया। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में रेकॉर्ड 750 विकेट लेने वाले गोयल का 21 जून 2020 को हरियाणा के रोहतक में अपने निवास पर निधन हो गया। वे 77 वर्ष के थे। उनके निधन के बाद अनायास ही ये पंक्तियां याद आ गई जो उन्होंने कभी अपने करिअर को लेकर कहीं थीं।

गोयल देश के सर्वश्रेष्ठ लेफ्ट स्पिनर थे लेकिन उन्हें अपनी तमाम काबिलियत के बावजूद देश के लिए खेलने का मौका नहीं मिल पाया क्योंकि वे ऐसे समय में खेल रहे थे जब भारतीय टीम में एक और बाएं हाथ के स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने अपनी जगह पक्की कर रखी थी। दरअसल, यह वह समय था जब भारतीय क्रिकेट में बाएं हाथ के स्पिनर बेदी ,लेग स्पिनर भागवत चंद्रशेखर, आफ स्पिनर ईरापल्ली प्रसन्ना और आफ स्पिनर श्रीनिवास वेंकटराघवन की चौकड़ी का दबदबा था और इस कारण कई बेहतरीन स्पिनर भारत के लिए खेल ही नहीं पाए।

स्पिन गेंदबाजी की यह स्थिति ठीक वैसी ही थी जैसी सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरभ गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की बल्लेबाजी चौकड़ी के समय बाद में हुई जब इनके रहते बहुत से बल्लेबाज इंतजार करते रह गए।

महान सलामी बल्लेबाज सुनील गावसकर ने 1983 में अपनी किताब आइडल्स में जिन 31 आइडल्स को रखा था उनमें राजिंदर गोयल भी एक थे। गोयल ने रणजी ट्रॉफी में रेकॉर्ड 637 विकेट लिए थे और उनका यह रेकॉर्ड आज भी कायम है। गोयल यदि किसी दूसरे युग में पैदा होते तो निश्चित ही लंबे समय तक भारतीय टीम के लिए खेलते। लेकिन उनका समय स्पिन चौकड़ी के समय से टकरा रहा था और उन्हें भारत के लिए एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिल पाया। उन्होंने एक अनाधिकारिक टैस्ट में श्रीलंका (तब सीलोन) के खिलाफ 1964-65 में खेला था। उन्होंने एक बार इस बारे में कहा था-यह सब किस्मत का खेल है।

हरियाणा के नरवाना में 20 सितंबर 1942 को जन्मे गोयल अपने प्रथम श्रेणी करिअर में पटियाला, हरियाणा, दक्षिणी पंजाब, दिल्ली तथा उत्तर क्षेत्र की तरफ से खेले और उन्होंने 157 मैचों में 18.58 के औसत से 750 विकेट लिए। गोयल ने पारी में पांच विकेट 59 बार और मैच में 10 विकेट 18 बार लिए। उनके नाम रणजी ट्रॉफी में 123 मैचों में 1715 के जबरदस्त औसत से सर्वाधिक 640 विकेट लेने का रेकॉर्ड है।

वे 44 साल की उम्र तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेले। उन्होंने प्रथम श्रेणी में अपना पदार्पण पटियाला की तरफ से खेलते हुए 23 दिसंबर 1958 को सर्विसेस के खिलाफ किया था। उनका आखिरी प्रथम श्रेणी मैच हरियाणा की तरफ से खेलते हुए नौ मार्च 1985 को बॉम्बे के खिलाफ था। गोयल एक खिलाड़ी के तौर पर तो रणजी ट्रॉफी नहीं जीत पाए लेकिन वह 1991 में हरियाणा चयन समिति के अध्यक्ष थे जब कपिल देव की अगुआई वाली हरियाणा टीम ने बॉम्बे को वानखेड़े स्टेडियम में हराकर रणजी खिताब जीता था।

गोयल के समय मुंबई के वामहस्त स्पिनर पद्माकर शिवालकर भी खेल रहे थे और उन्हें भी गोयल की तरह भारत की तरफ से खेलने का मौका नहीं मिल पाया। शिवालकर ने 1961/62-1987/88 तक अपने प्रथम श्रेणी करिअर में 124 मैचों में 589 विकेट लिए थे जबकि गोयल ने 1958/59-1984/85 तक अपने प्रथम श्रेणी करिअर में 157 मैचों में 750 विकेट लिए।

स्पिन चौकड़ी के गेंदबाजों को देखा जाए तो बेदी ने 1961/62-1980/81 तक के अपने प्रथम श्रेणी करिअर में 370 मैचों में 1560 विकेट लिए जिसमें 67 टैस्ट के 266 विकेट शामिल हैं। चंद्रशेखर ने 1963/64-1979/80 तक के अपने प्रथम श्रेणी करिअर में 246 मैचों में 1063 विकेट लिए जिसमें 58 टैस्टों में 242 विकेट शामिल हैं।
प्रसन्ना ने 1961/62-1978/79 तक अपने प्रथम श्रेणी करिअर में 235 मैचों में 957 विकेट लिए थे जिसमें 49 टैस्टों में 189 विकेट शामिल हैं।

वेंकटराघवन ने 1963/64-1984/85 तक अपने प्रथम श्रेणी करिअर में 341 मैचों में 1390 विकेट लिए थे जिसमें 57 टैस्टों में 156 विकेट शामिल थे। इन गेंदबाजों की तुलना में देखा जाए तो 157 मैचों में 750 का रेकार्ड कतई खराब नहीं है और वह भारतीय टीम में जगह बनाने के उतने ही दावेदार थे जितने कि ये दिग्गज स्पिनर थे।