भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में दिल्ली पुलिस द्वारा देश के शीर्ष पहलवानों को हिरासत में लिए जाने और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के 2 दिन बाद पदक विजेताओं ने कहा कि वे अपने ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप पदकों को मंगलवार 30 मई 2023 को हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जित कर देंगे।

पहलवान नदी किनारे तक गए, लेकिन किसान नेता नरेश टिकैत के समझाने पर उन्होंने अपने पदकों को विसर्जित नहीं किया। उन्होंने यह कहते हुए अपने पदक नरेश टिकैत को सौंप दिए कि यदि पांच दिन के भीतर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे फिर आएंगे। भारतीय पहलवान काफी हद तक अमेरिकी मुक्केबाज मुहम्मद अली ‘द ग्रेटेस्ट’ की राह पर हैं।

मुहम्मद अली का जन्म केंटकी के लुइसविले में एक अश्वेत अमेरिकी कैसियस क्ले के रूप में हुआ था। लुइसविले में उस समय नस्लवाद का बोलबाला था। कैसियस क्ले ने 12 साल की उम्र में बॉक्सिंग की दुनिया में कदम रखा। कैसियस क्ले ने 6 साल के भीतर 1960 रोम ओलंपिक में स्वर्ण जीता।

मुहम्मद अली ने 18 साल की उम्र में जीता था ओलंपिक में गोल्ड मेडल

18 साल के मुहम्मद अली स्वर्ण जीतने पर काफी खुश थे। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, मैंने 48 घंटे तक वह पदक नहीं छोड़ा। मैंने इसे बिस्तर पर भी पहना हुआ था। मुझे बहुत अच्छी नींद नहीं आई, क्योंकि मुझे अपनी पीठ के बल सोना पड़ा, लेकिन मैंने परवाह नहीं की। मैं ओलंपिक चैंपियन था।’

हालांकि, किसे पता था कि चीजें जल्द ही बदल जाएंगी। मुहम्मद अली लंबे समय तक उस मेडल को अपने पास नहीं रख पाए। किंवदंती यह है कि जब यह स्टार मुक्केबाज लुइसविले स्थित घर लौटा तो शहर उन्हें उनके शरीर के रंग से परे नहीं देख पाया।

मुहम्मद अली को एक रेस्तरां ने अपनी सर्विस देने से मना कर दिया।। उस रेस्तरां में केवल गोरे लोगों को ही सर्विस मिलती थी। उसके बाद मुहम्मद अली का एक मोटरसाइकिल गैंग से झगड़ा हो गया। अली ने बताया कि नस्लवाद से परेशान होकर उन्होंने अपना पदक ओहियो नदी में फेंक दिया था।

एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुहम्मद अली ने आत्मकथा ‘द ग्रेटेस्ट’ मे लिखा है कि उन्होंने मोटरसाइकिल गैंग से लड़ाई के बाद ओहियो नदी में अपना स्वर्ण पदक फेंक दिया। यह झगड़ा तब शुरू हुआ जब उस रेस्तरां में उन्हें और उनके एक दोस्त को सर्व करने से मना कर दिया था।

मुहम्मद अली को करना पड़ा था नस्लवाद का सामना

मुहम्मद अली को निस्संदेह नस्लवाद का सामना करना पड़ा। हालांकि, एक रिपोर्ट यह भी कहती है कि हो सकता है कि उन्होंने पदक खो दिया हो या कहीं रखकर भूल गए हों। द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, रोम ओलंपिक के बाद कुछ पत्रकार कैसियस क्ले के घर लुइसविले गए।

वहां कैसियस क्ले उर्फ मुहम्मद अली को सार्वजनिक रूप से ‘ओलंपिक निगर’ के रूप में पुकारा गया। शहर के कई रेस्तरां ने अपनी सेवाएं देने से मना कर दिया। इस तरह के अपमान के बाद एक कहानी सामने आई कि कैसियस क्ले ने अपना स्वर्ण पदक ओहियो नदी में फेंक दिया।

हालांकि, लेखक थॉमस हॉसर के अनुसार, कैसियस क्ले (बाद में मुहम्मद अली) ने पदक खो दिया था। थॉमस हॉसर ‘मुहम्मद अली: हिज लाइफ एंड टाइम्स’ के लेखक हैं। कैसियस क्ले 1964 में इस्लाम धर्म अपना लिया और खुद को मुहम्मद अली नाम दिया।