भारतीय फुटबॉल टीम इंडोनेशिया में होने वाले आगामी एशियाई खेलों में हिस्सा नहीं लेगी। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने इस बात का ऐलान किया है। आईओए ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि इस बार भारतीय फुटबॉल टीम को एशियन गेम्स में नहीं भेजा जाएगा। आईओए के एक अधिकारी ने इस फैसले पर कहा कि गाइडलाइन्स के मुताबिक ही यह फैसला सुनाया गया है। उन्होंने कहा, ‘फुटबॉल टीम ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है और इसलिए मेडल जीतने का ज्यादा चांस भी नहीं है। इसलिए उन्हें भेजने का भी कोई मतलब नहीं है। हम एक स्पोर्ट्स नेशन के तौर पर उभर रहे हैं। बहुत से खेलों में हम गोल्ड मेडल के लिए मुकाबला कर रहे हैं। ऐसे माहौल में हमें ऐसी टीम को नहीं भेजना चाहिए जिसके पास मेडल जीतने का कोई चांस ही नहीं है।’
अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने आरोप लगाया है कि नरिंदर बत्रा की अगुआई वाला भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) इस खेल को नहीं समझता। एआईएफएफ ने अपने बयान में कहा, ‘यह स्पष्ट है कि आईओए के पास कोई विजन और क्षमता नहीं जिससे वह समझ सके कि फुटबाल वैश्विक खेल है जिसे 212 देश खेलते हैं और एशियाई की शीर्ष पांच टीमें फीफा विश्व कप में खेलती हैं जहां प्रतिस्पर्धा का स्तर एशियाई खेलों से कहीं बेहतर है।’
हिरोशिमा 1994 खेलों के बाद यह पहला मौका होगा जब भारतीय फुटबाल टीम एशियाई खेलों में हिस्सा नहीं लेगी। एशियाई खेल में फुटबाल अंडर 23 वर्ग में खेला जाता है जिसमें तीन अधिक उम्र के खिलाड़ियों को खेलने की स्वीकृति होती है। आईओए के नियमों के अनुसार महाद्वीपीय स्तर पर एक से आठ के बीच रैंकिंग वाली राष्ट्रीय टीमों को ही एशियाई खेलों में हिस्सा लेने की स्वीकृति दी जाएगी।
भारतीय टीम की एशिया में रैंकिंग 14 है और यही कारण है कि पिछले कुछ समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छे प्रदर्शन के बावजूद टीम को एशियाई खेलों में खेलने की स्वीकृति नहीं मिली। भारत ने आठ साल बाद एशियाई कप के लिए क्वालीफाई किया है। वह पिछली बार 2011 में इस टूर्नामेंट में खेला था। एआईएफएफ ने कहा , ‘तथ्य यह है कि एएफसी एशियाई कप एशिया की शीर्ष फुटबाल प्रतियोगिता है जिसके लिए भारत ने आठ साल के बाद क्वालीफाई किया है। आईओए का रुख और नजरिया युवा मामलों और खेल मंत्रालय तथा भारतीय खेल प्राधिकरण के विपरीत है जिन्होंने भारतीय फुटबाल टीम का काफी समर्थन किया और पिछले तीन साल में एआईएफएफ के प्रयासों को मान्यता दी।’
यह भी पता चला है कि एआईएफएफ अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने बत्रा, महासचिव राजीव मेहता और दागी अधिकारी ललित भनोट (अध्यक्ष , तैयारी समिति , एशियाई खेल) से बात करके उन्हें हालात की जानकारी दी और पत्र भी लिखे। एआईएफएफ ने आरोप लगाया , ‘हालांकि सभी तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए आईओए एक से आठ रैंकिंग के बीच की टीमों को ही भेजने के अपने शुरुआती रवैये पर कायम रहा , इस तरह उसने महाद्वीप खेलों में भारतीय फुटबाल के प्रति आंखें मूंद ली।’