एंड्रू एमसन

भारत की अंडर-16 फुटबॉल टीम ने 10 सितंबर को सैफ कप जीता। इससे पहले उन्होंने सेमीफाइल में मालदीव को हराया था। इस मैच के बाद जहां टीम जश्न मना रही थी वहीं उसके कप्तान नगमगोहो माटे परिवार से बात करने को बेताब थे। जीत की खुशी बांटने के लिए नहीं बल्कि परिवार की सलामती जानने के लिए। माटे का परिवार टेंगनोपाल जिले के पालेल इलाके में रहता था जो कि हिंसा का शिकार बना। मणिपुर हिंसा में माटे ने अपना घर, अपनी अकेडमी, अपनी स्कूटी अपना सबकुछ खो दिया।

फुटबॉल जूते साथ लेकर छोड़ा घर

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में माटे ने चार मई की भयानक रात का मंजर बताया जब उन्हें जान बचाने के लिए इंफान में अपने अंकल के घर से भागना पड़ा। उन्होंने बताया, ‘मेरे अंकल का घर जला दिया गया। हमने अपना सब कुछ खो दिया। जिस स्कूटी से ट्रेनिंग करने जाता था वह भी जला दी गई। मैंने बैग में अपने फुटबॉल जूते और अपने जरूरी सर्टिफिकेट डाले और घर छोड़ दिया। ‘

सेना के बैरक में बिताए दिन

माटे के अंकल ने आगे बताया कि घर छोड़ने के बाद उनके साथ 1500 लोगों ने स्कूल में शरण ली। रात होने से पहले सेना ने वहां आकर उन्हें बचाया और असम राफल्स के बैरक में पहुंचाया गया। तब तक माटे का पूरा मोहल्ला जलकर खाख हो गया था। माटे की स्थिति जानने के बाद पूर्व भारतीय खिलाड़ी रेनेडी सिंह मदद के लिए आगे आए। उन्हीं की वजह से माटे सिलिगुड़ी में ट्रायल्स की ट्रेनिंग करने लगे।

भारत को जिताया सैफ कप

15 साल के माटे को सैफ कप के लिए भारतीय अंडर-16 टीम का कप्तान चुना गया। माटे भूटान में अपनी टीम की कप्तानी कर रहे थे लेकिन उन्हें हर पल अपने परिवार की चिंता सता रही थी। सेमीफाइनल मुकाबले की सुबह उन्हें पता चला कि जिस जगह उनका परिवार रह रहा था वह भी हिंसा की चपेट में है। माटे का परिवार हालांकि सुरक्षित है जो कि हिंसा भड़कने से पहले ही वह जगह छोड़कर चले गए थे।

परिवार से मिलने को बेताब हैं माटे

माटे भूटान से लौटने के बाद परिवार से दूर मणिपुर की कांगपोपकी जिले में हैं। चार महीने से उन्होंने अपने परिवार की शक्ल नहीं देखी है। वह अपनी बहनों से मिलने के लिए बेताब है। अपनी जीत का जश्न उनके साथ मानना चाहते हैं लेकिन नहीं जानते कि यह कब संभव होगा। माटे अब भी हर रोज अपनी ट्रेनिंग करते हैं। फुटबॉल ही उन्हें इस मुश्किल समय में हिम्मत रही है।