हाकी विश्व लीग (एचडब्ल्यूएल) के रायपुर में होने वाले फाइनल्स से पहले भारत को झटका लगा जब स्ट्राइकर ललित उपाध्याय चोटिल हो गए लेकिन मुख्य कोच रोलैंट ओल्टमैंस का मानना है कि टूर्नामेंट के दौरान दुनिया की शीर्ष टीमों को हैरान करने के लिए उनके पास पर्याप्त प्रतिभा मौजूद है। ललित को बंगलुरु में भारत के तैयारी शिविर के अंतिम चरण के दौरान हेयरलाइन फ्रैक्चर हो गया जिसके कारण वह प्रतियोगिता से बाहर हो गए हैं। टीम में उनकी जगह युवा मोहम्मद आमिर खान को शामिल किया गया है।
हाकी इंडिया के हाई परफोर्मेंस निदेशक ओल्टमैंस ने बताया कि हमारा तैयारी शिविर अच्छा रहा। सब कुछ सही और अच्छा रहा। ललित हालांकि चोटिल हो गए। शिविर के अंतिम हफ्ते में उन्हें हेयरलाइन फ्रैक्चर हो गया और वह टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं। टीम में मोहम्मद आमिर खान उनकी जगह लेंगे। ललित के अलावा एक अन्य स्ट्राइकर निक्किन थिमैया को भी कंधे की चोट के कारण टीम से हटा दिया गया है। उन्हें न्यूजीलैंड के पिछले दौरे के दौरान यह चोट लगी थी।
ओल्टमैंस ने कहा कि हम निक्किन के बिना भी उतरेंगे। उन्हें न्यूजीलैंड दौरे के दौरान कंधे में चोट लगी थी और जल्द ही उसका आपरेशन हो सकता है। वे कम से कम छह हफ्ते के लिए बाहर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन हम दिन प्रतिदिन प्रगति कर रहे हैं और हमारी टीम में युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का मिश्रण है जो आस्ट्रेलिया, जर्मनी और नीदरलैंड जैसी शीर्ष टीमों का सामना कर सकता है। दुनिया के शीर्ष कोचों में शुमार ओल्टमैंस का मानना है कि एचडब्ल्यूएल से पहले रायपुर में गुरुवार से आस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरू हो रही तीन टैस्ट की सीरीज इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट से पहले उनके खिलाड़ियों की सही तस्वीर पेश करेगी। उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया दुनिया की नंबर एक टीम है। वे दुनिया की सबसे फिट और आक्रमक टीम हैं। उनके खिलाफ तीन टैस्ट निश्चित तौरपर हमारी तैयारी की परीक्षा लेंगे और हमें पता चलेगा कि खामी कहां है।
बुधवार से शुरू हो रही तीन टैस्ट की सीरीज में भारतीय टीम की परख होगी। आस्ट्रेलिया के खिलाफ उसे अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। सरदार सिंह की अगुआई वाली भारतीय टीम ने हाल के दिनों में अपने प्रदर्शन में सुधार किया है लेकिन उसकी असली परख बड़ी टीमों के खिलाफ होती है। बड़ी टीमों के खिलाफ कई बार भारतीय डिफेंस दबाव नहीं झेल पाता और अंतिम क्षणों में गोल खाने की वजह से टीम जीत से दूर रह जाती है। पेनल्टी कार्नर को गोल में नहीं बदल पाने की कमजोरी भी भारतीय टीम की परेशानी का सबब है।