दक्षिण अफ्रीका के कप्तान टेम्बा बावुमा ने कोच शुकरी कॉनराड के भारत को ‘घुटनों पर लाने’ वाले विवादित बयान पर संयमित प्रतिक्रिया दी है। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर अपने कोच की आलोचना नहीं की, लेकिन साथ ही यह भी याद दिलाया कि इस टेस्ट सीरीज में कुछ खिलाड़ियों ने भी मर्यादाओं की रेखा लांघी। इसी क्रम में टेम्बा बावुमा ने भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के पहले टेस्ट में किए गए ‘बौना’ वाले कमेंट का भी जिक्र किया, जिससे यह साफ हुआ कि विवाद दोनों तरफ से हुआ है।

टेम्बा बावुमा ने भारत को ‘घुटने के बल लाने’ के कोच शुकरी कॉनराड के विवादित बयान को तूल नहीं देते हुए कहा कि मुख्य कोच अपनी टिप्पणी पर गौर करेंगे। अनिल कुंबले और डेल स्टेन समेत भारत और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व खिलाड़ियों ने ‘ग्रोवेल’ (सीने के बल लेटना या रेंगना या घुटनों के बल लाना) शब्द के इस्तेमाल को लेकर कॉनराड की आलोचना की थी।

‘ग्रोवेल’ शब्द का ऐतिहासिक संदर्भ है। वेस्टइंडीज टीम जब 1976 में इंग्लैंड में टेस्ट शृंखला खेलने गई थी, तब इंग्लैंड के तत्कालीन कप्तान टोनी ग्रेग ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मैं उन्हें घुटने के बल लाना (ग्रोवेल) चाहता हूं।’ वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को शृंखला में 5-0 से हराया था। कॉनराड ने दूसरे टेस्ट के चौथे दिन दक्षिण अफ्रीका के जीत की दहलीज पर पहुंचने के बाद यह बयान दिया था।

टेम्बा बावुमा ने मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में इस बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘मुझे सुबह ही कोच के बयान के बारे में पता चला। मेरा ध्यान मैच पर था तो उनसे बात करने का मौका नहीं मिला। शुकरी 60 साल के होने वाले हैं और वह अपने बयान पर गौर करेंगे।’ कोलकाता में पहले टेस्ट में जसप्रीत बुमराह द्वारा उन्हें ‘बौना’ कहे जाने का जिक्र करते हुए टेम्बा बावुमा ने कहा, ‘…लेकिन इस शृंखला में कुछ खिलाड़ियों ने भी सीमा पार की है। मैं यह नहीं कर रहा कि कोच ने सीमा पार की है, लेकिन वह अपने बयान पर गौर करेंगे।’