शुभमन गिल की अगुआई में इंग्लैंड दौरे पर युवा भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन कर रही है। लीड्स में हारने के बाद भारत ने जबरदस्त वापसी की। बर्मिंघम में 58 साल का सूखा खत्म करते हुए जीत दर्ज की। लॉर्ड्स में 10 जुलाई से तीसरे टेस्ट के दौरान भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन जारी रखना चाहेगी। 10 जुलाई को दिग्गज सुनील गावस्कर का जन्मदिन भी है। लिटिल मास्टर के 76 साल के होने पर उनसे जुड़ा एक मजेदार किस्सा हम यहां बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में सुशील दोशी ने अपने संस्मरण ‘आंखों देखा हाल’ में बताया है।
रेडियो पर क्रिकेट कमेंट्री के कारण भारत में हर घर में अपनी पहचान बनाने वाले सुशील दोशी ने 8वें चैप्टर इंग्लैंड का यादगार दौरा में 1979 में ओवल में खेले गए भारत-इंग्लैंड रोमांचक टेस्ट मैच से जुड़ा रोचक किस्सा बताया है। भारत की दूसरी पारी से पहले इंग्लैंड के दिग्गज ऑलराउंडर इयान बॉथम ने सुनील गावस्कर से कहा था, ‘सनी मुझे सपना आया है कि तुम डबल सेंचुरी मारोगे।’ गावस्कर ने बॉथम के सपने को हकीकत में बदल दिया था। आइए जानते हैं इस मैच में क्या हुआ।
आखिरी टेस्ट मैच के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बचाकर रखा
भारत का 1979 में इंग्लैंड दौरा दूसरे प्रूडेंशियल वर्ल्ड कप के तुरंत बाद हुआ था, जिसे फिर से वेस्टइंडीज ने जीता था। भारतीय टीम के लिए वर्ल्ड कप अच्छा नहीं रहा। उन्होंने टूर्नामेंट के सभी तीन मैच गंवा दिए। इसमें श्रीलंका से मिली हार भी शामिल थी, जो उस समय टेस्ट टीम नहीं थी और अपने 16 प्रथम श्रेणी दौरे के मैचों में से केवल एक ही जीत पाई थी। चार टेस्ट मैचों में से पहले मैच में भारी हार के बाद भारत ने बाकी तीन मैच ड्रॉ कराए, लेकिन अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन आखिरी टेस्ट के लिए बचाकर रखा, जब वह एक शानदार टेस्ट रन चेज के बेहद करीब पहुंच गई थी।
वेंगसरकर, विश्वनाथ और गावस्कर ने बेहतरीन बल्लेबाजी की
इस दशक में भारतीय टीम के सफल होने में स्पिन चौकड़ी की भूमिका अहम थी। इस दौरे पर इरापल्ली प्रसन्ना नहीं गए, जबकि भगवत चंद्रशेखर पहले टेस्ट के बाद अकिलीज टेंडन की समस्या के कारण बाहर हो गए थे। बिशन बेदी ने 35.57 की औसत से 7 विकेट लिए, जबकि कप्तान श्रीनिवास वेंकटराघवन ने 57.50 की औसत से 6 विकेट लिए। इससे बोझ तेज गेंदबाज कपिल देव और करसन घावरी पर पड़ा। दोनों ने अच्छा प्रदर्शन तो किया, लेकिन उन्हें ज्यादा समर्थन नहीं मिला। ऐसे में भारत को दबाव से उबराने का दारोमदार बल्लेबाजों पर था। दिलीप वेंगसरकर, गुंडप्पा विश्वनाथ और सुनील गावस्कर ने इस चुनौती का बखूबी निभाया।
पहले चार दिन कुछ खास नहीं हुआ
इंग्लैंड ने पहले टेस्ट में जीत दर्ज की। लॉर्ड्स में दूसरा टेस्ट बारिश की वजह से ड्रॉ हो गया। तीसरा टेस्ट भी ड्रॉ रहा। ऐसे में भारत अगस्त के अंत में ओवल में केवल एक टेस्ट हारकर और सीरीज ड्रॉ कराने के इरादे के साथ पहुंचा। इस पूरे मैच में धूप खिली रही। पहले 4 दिन कुछ खास नहीं हुआ। इंग्लैंड ने 103 रन की बढ़त ले ली थी और दूसरी पारी में लड़खड़ाने के बाद, ज्योफ बॉयकॉट के शानदार शतक और डेब्यू कर रहे डेविड बेयरस्टो के आखिरी ओवरों के शानदार प्रदर्शन की बदौलत माइक ब्रियरली ने चौथे दिन दोपहर में पारी घोषित कर दी।
क्या भारतीय बल्लेबाज मैच ड्रॉ करा पाएंगे
भारत को 500 मिनट में 438 रन का लक्ष्य दिया। बहुत कम लोगों को यकीन था कि 15 टूर मुकाबलों में सिर्फ 7 बार 300 का आंकड़ा पार करने वाली भारतीय टीम रिकॉर्ड लक्ष्य हासिल करने के करीब पहुंच जाएगी। सवाल यह था कि क्या भारतीय बल्लेबाज मैच ड्रॉ करा पाएंगे। अंग्रेजी मीडिया में ब्रियरली की जरूरत से ज्यादा सतर्क रहने के लिए आलोचना की।
एक दिन में 300 रन बनाना कोई आम बात नहीं
गावस्कर और चेतन चौहान ने दमदार शुरुआत की और भारत ने चौथे दिन बिना किसी नुकसान के 76 रन बनाए। इससे उसे लगभग एक रन प्रति मिनट की दर से 362 रन की जरूरत थी। हालांकि आधुनिक क्रिकेट में इसे हासिल करना आसान माना जा सकता है, लेकिन 1970 के दशक के टेस्ट क्रिकेट में एक दिन में 300 रन बनाना कोई आम बात नहीं थी और यह लक्ष्य पहुंच से बाहर लगता था।
दर्शकों की संख्या बढ़ी
पांचवें दिन ओवल में कम दर्शक आए। गावस्कर और चौहान ने साझेदारी को आगे बढ़ाया। सुबह के सत्र में 93 रन और जोड़े। इससे भारत का स्कोर 169/0 हो गया। ड्रॉ की संभावना प्रबल दिख रही थी। दोपहर के ड्रिंक्स सत्र तक भारत का स्कोर 213/0 था। गावस्कर आक्रामक भूमिका निभा रहे थे, जबकि चौहान संयमित सहयोग दे रहे थे। बॉब विलिस ने आखिरकार इंग्लैंड को सफलता दिलाई। चौहान को स्लिप में बॉथम के हाथों कैच कराया। उन्होंने 80 रन बनाए। इसके बाद वेंगसरकर आए, जो काफी आक्रामक दिखे। चायकाल तक भारत का स्कोर 304/1 था और दर्शकों की संख्या काफी बढ़ गई थी। ऐसे लग रहा था भारत रिकॉर्ड रन चेज करेगा।
इंग्लैंड ने ओवर रेट कम किया
चाय के बाद इंग्लैंड ने ओवर रेट कम कर दिया। ब्रियरली ने वही किया जो कई अन्य कप्तान वर्षों से करते आए हैं। उनके तेज गेंदबाज थके हुए थे। अनिवार्य अंतिम 20 ओवर शुरू होने से पहले आधे घंटे में इंग्लैंड ने केवल 6 ओवर ही गेंदबाजी की। भारत ने टेस्ट के अंतिम चरण की शुरुआत 1 विकेट पर 328 रन से की उसे 110 रन चाहिए थे और उसके नौ विकेट शेष थे।
नाटकीय मोड़
सब कुछ भारत के पक्ष में जाता दिख रहा था। बॉथम ने वेंगसरकर का कैच छोड़ा। गावस्कर का दोहरा शतक आया। 12 ओवर शेष रहते भारत का स्कोर 1 विकेट पर 366 रन था। उसे 76 रन चाहिए थे। क्रिकेट में जब नतीजा तय होता दिखता है तब नाटकीय मोड़ आता है। ओवल में यह तब आया जब वेंगसरकर को 52 रन के निजी स्कोर पर डेविड एडमंड्स ने बॉथम के हाथों कैच करा दिया। गावस्कर के साथ उन्होंने 153 रन जोड़े थे।
वेंकटराघवन ने बल्लेबाजी क्रम में फेरबदल किया
भारत के पास काफी बल्लेबाजी थी, लेकिन वेंकटराघवन ने बल्लेबाजी क्रम में फेरबदल किया। कपिल देव को चौथे नंबर पर भेजने का प्रयास विफल रह। वह 0 रन पर विली की गेंद पर आउट हो गए। विश्वनाथ 410 के स्कोर पर पांचवां विकेट गिरने तक मैदान पर नहीं आए।
बॉथम की शानदार गेंदबाजी
विश्वनाथ को विली ने कवर्स में ब्रेयरली के हाथों कैच करा दिया। भारत की स्थिति और बिगड़ती गई। बॉथम ने लगातार ओवरों में यजुवेंद्र सिंह और यशपाल शर्मा को आउट कर दिया। बॉथम ने आखिरी चार ओवरों में उन्होंने 17 रन देकर 3 विकेट चटकाए। इसके बाद घावरी से ऊपर बल्लेबाजी के लिए खुद वेंकटराघवन उतरे, जो यकीनन एक बेहतर बल्लेबाज थे, लेकिन उनकी छोटी पारी का अंत बॉथम की शानदार फील्डिंग ने कर दिया।
1 गेंद शेष रहते ड्रॉ हुआ मैच
ऐसा लगने लगा भारत ने मैच जीतने का अच्छा मौका गंवा दिया। इंग्लैंड भी जीत हासिल कर सकता है। बिशन सिंह बेदी क्रीज पर थे। आखिरी ओवर में भारत को 15 रन चाहिए थे। उसके पास 2 विकेट थे। विली ने आखिरी ओवर किया। ब्रेयरली ने उस दिन पहली बार आक्रामक फील्डिंग लगाई। हालांकि, भरत रेड्डी ने एक चौका लगाया, लेकिन भारत ने ड्रॉ पर सहमति जताई। दोनों कप्तान एक गेंद पर नौ रन की आवश्यकता के साथ ड्रॉ पर सहमत हो गए।