भारत-इंग्लैंड 5 मैचों की टेस्ट सीरीज का आखिरी टेस्ट 31 जुलाई से लंदन के ओवल स्टेडियम में खेला जाएगा। ओवल स्टेडियम का नाम भारतीय क्रिकेट के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। भारत ने इंग्लैंड में पहला टेस्ट मैच यहीं जीता था। इसके अलावा भी इस मैदान से भारतीय क्रिकेट की काफी अच्छी यादें जुड़ी हैं।
कौन भूल सकता है ओवल स्टेडियम में 1979 में खेला गया भारत-इंग्लैंड मैच? भारतीय टीम ने 438 रन के लक्ष्य के जवाब में शानदार बल्लेबाजी की। सुनील गावस्कर ने 221 रन बनाए थे। ऐसा लगा कि वह यह लक्ष्य हासिल कर लेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भारतीय टीम 429 रन बनाकर अप्रत्याशित जीत से वंचित रह गया था। इस टेस्ट मैच के दौरान पहली बार ‘यह मैच कमजोर दिल के मरीजों के लिए नहीं रहा’ लाइन का इस्तेमाल हुआ। मशहूर रेडियो कमेंटेटर सुशील दोशी ने इसके बारे में अपनी किताब आंखों देखा हाल में बताया है।
लोगों को मैदान छोड़कर जाते हुए देख हैरान थे सुशील दोशी
जब भारत को जीत के लिए 14 ओवर में 79 रन चाहिए थे। रोमांचक मैच के बीच कमेंट्री कर रहे सुशील दोशी अधेड़ और बूढ़े लोगों को मैदान छोड़कर जाते हुए देख हैरान रह गए थे। वह नीचे गए और दर्शकों से जाने का कारण पूछा। एक बुजुर्ग ने कहा, “हमें दिल की बीमारी है। हमारे डॉक्टरो ने हमें हिदायत दी है कि दिल को झकझोर देने वाले वाली किसी संभावित घटना से दूरी बनाकर रखें। अन्यथा यह रोमांच दिल के लिए भारी पड़ सकता है, इसीलिए हम जा रहे हैं।”
‘यह मैच अब कमजोर दिल के इंसानों के लिए नहीं रह गया
सुशील दोशी ने आगे बताया, “जब कमेंट्री में मेरी बारी आई, तब मैंने महसूस किया कि जो हालात दिल के मरीजों के यहां मैदान में हैं, वैसे ही हालात से भारत में कमेंट्री सुनने वालों में से कई गुजर रहे होंगे। अत: मैंने कहा था, ‘यह मैच अब कमजोर दिल के इंसानों के लिए नहीं रह गया है। जिन्हें दिल की बीमारी है, उनके लिए इस मैच की कमेंट्री का रोमांच भारी पड़ सकता है।’ आज भी ये वाक्य लोगों की स्मृति में अंकित हैं तो एक कलाकार के तौर पर मेरा मन गदगद हो जाता है।” सुशील दोशी की इन लाइंस का इस्तेमाल आज भी रोमांचक मैचों के दौरान होता है।