भारतीय टीम ने मैनचेस्टर टेस्ट के आखिरी दिन रविवार (28 जुलाई) को मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ कप्तान शुभमन गिल, रविंद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर के शतकों की बदौलत मैच ड्रॉ करा लिया। तेंदुलकर-एंडरसन सीरीज के चौथे टेस्ट में काफी ड्रामा देखने को मिला। मैच का एक घंटा बाकी रहते, इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने ड्रॉ का प्रस्ताव लेकर जडेजा और सुंदर के पास हाथ मिलाने गए।
भारतीय बल्लेबाजों ने प्रस्ताव ठुकरा दिया। इससे मैच अनिवार्य अंतिम 15 ओवरों तक खिंच गया। इसके बाद स्टोक्स और उनके साथियों की जडेजा और सुंदर से बहस हुई, लेकिन दोनों भारतीय बल्लेबाजों ने अपने शतक पूरे करने के लिए के लिए पांच ओवर खेलने के बाद ड्रॉ पर सहमति जताई। भारत के पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने इस घटना को लेकर इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स को “बिगड़ा हुआ बच्चा” करार दिया। उन्होंने कहा कि इंग्लैंड के कप्तान स्थिति को बेहतर तरीके से संभाल सकते थे।
बिगड़ैल बच्चे जैसा व्यवहार
मांजरेकर ने जियो हॉटस्टार पर मैच के बाद के शो के दौरान कहा, ” ठीक है, वो इस बात से नाखुश हैं कि खिलाड़ी मैदान से बाहर नहीं गए। उन्हें अपने ओवर सावधानी से मैनेज करने होंगे क्योंकि मुख्य गेंदबाज पूरे दिन लंबे स्पैल फेंकने से पहले ही थक चुके थे। लेकिन लॉलीपॉप बॉल फेंकना और थोड़ा चिड़चिड़ापन दिखाना बेन स्टोक्स का बिगड़ैल बच्चे जैसा व्यवहार था। मैं समझ सकता हूं कि उन्हें हैरानी हुई होगी कि भारत खेलना जारी रखना चाहता था… लेकिन सब कुछ आपकी मर्जी से नहीं होता। उन्हें इससे बेहतर तरीके से निपटना चाहिए था। बेन, वो हीरो, वो चैंपियन हैं, जिसकी मैं प्रशंसा करता हूं। वह उस मौके पर एक बिगड़ैल बच्चे जैसा व्यवहार कर रहे थे।”
जडेजा और सुंदर की बेहतरीन साझेदारी
जडेजा और सुंदर ने पांचवें विकेट के लिए नाबाद 203 रनों की साझेदारी कर भारत की उम्मीदों को सीरीज में बनाए रखा। इंग्लैंड एक टेस्ट मैच शेष रहते 2-1 से आगे है। यह जडेजा का पांचवाँ टेस्ट शतक था, जबकि सुंदर ने रविवार को 101 रनों की पारी खेलकर अपना पहला टेस्ट शतक जड़ा। इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर जोनाथन ट्रॉट का मानना है कि यदि इंग्लैंड की स्थिति भारतीय बल्लेबाजों जैसी होती तो वे अंतिम घंटे में ड्रॉ का प्रस्ताव मिलने के बाद मैदान छोड़ देते।
बेन स्टोक्स हाथ मिला लेते
ट्रॉट ने जियो हॉटस्टार पर कहा, “इंग्लैंड में आम चलन है और बेन स्टोक्स की सोच यही है कि कोई व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं होती। अगर आपको खेल जल्दी खत्म करने का प्रस्ताव दिया जाए, तो उसे स्वीकार कर लिया जाता है। उनके (स्टोक्स के) हिसाब से खेल खत्म हो गया था। मुझे नहीं लगता कि इंग्लैंड के मन में कोई व्यक्तिगत उपलब्धि रही होगी—यह सिर्फ मेरा विचार है। अगर कोई अपने पहले शतक के करीब होता तो शायद बात थोड़ी अलग होती। बेन स्टोक्स की प्रतिक्रिया से आप बता सकते हैं कि अगर वे उसी स्थिति में होते, तो शायद भारतीय कप्तान से हाथ मिलाने का प्रस्ताव मिलने पर वे हाथ मिला लेते। अगर शुभमन गिल उसी स्थिति में अंग्रेज बल्लेबाजों के पास जाते तो वे चले जाते। टेस्ट क्रिकेट यही है। यह कड़ा और निष्पक्ष खेल है, लेकिन एक नियम और एक लोकाचार भी है कि खेल एक-दूसरे के प्रति समान सम्मान के साथ खेला जाए।”