तेज गेंदबाज आकाश दीप को इंग्लैंड के खिलाफ रांची टेस्ट मैच में डेब्यू करने का मौका मिल गया। रांची टेस्ट के लिए जसप्रीत बुमराह को आराम दिया गया था और माना जा रहा था कि मुकेश कुमार को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया जा सकता है, लेकिन आकाश दीप ने बाजी मार ली और उन्होंने शानदार अंदाज में डेब्यू भी किया। इंग्लिश टीम के खिलाफ रांची टेस्ट मैच के पहले दिन ही आकाश दीप ने विरोधी टीम के शीर्ष तीन बल्लेबाजों को आउट कर पूरी तरह से बैकफुट पर धकेल दिया। पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद आकाश दीप ने अपने जीवन को लेकर कुछ इमोशनल करने वाली बातें कहीं।
आकाश दीप ने पिता को समर्पित किया प्रदर्शन
रांची टेस्ट मैच के पहले दिन आकाश दीप ने 17 ओवर में 70 रन दिए और 3 विकेट लिए। उन्होंने विरोधी टीम के दोनों ओपनर बल्लेबाज जैक क्राउली को 42 रन, बेन डकलेट को 11 रन जबकि तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए ओली पोप को डक पर आउट करके पवेलियन भेज दिया। आकाश की घातक गेंदबाजी के बाद इंग्लैंड ने अपने शुरुआती 3 विकेट 57 रन पर गंवा दिए थे। आकाश दीप ने अपने इस शानदार प्रदर्शन के बाद कहा कि मैं अपने इस प्रदर्शन को अपने पिता को समर्पित करना चाहूंगा जो मुझे भारत के लिए खेलते हुए नहीं देख सके। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए भावनात्मक था। मैंने एक साल में अपने भाई और पिता को खो दिया था और मेरी यात्रा काफी कठिन रही है और मेरे परिवार ने मुझे इस लेवल तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने आगे कहा कि मेरे पास खोने को कुछ नहीं था, लेकिन पाने को बहुत कुछ था।
बेटे का डेब्यू देखने के लिए मां ने की 300 किलोमीटर की यात्रा
आकाश दीप ने शुक्रवार को डेब्यू किया, लेकिन इससे पहले उन्होंने गुरुवार को अपनी मां (लाडुमा देवी) को फोन करके कहा था कि मैं भारत के लिए डेब्यू करूंगा और तुम्हें आना होगा। इसके बाद आकाश की मां 300 किमी की यात्रा करते हुए बिहार के रोहतास जिले के बड्डी गांव से रांची के जेएससीए स्टेडियम पहुंच गईं। बेटे के प्रदर्शन पर फक्र महसूस कर रहीं उनकी मां ने पीटीआई से कहा कि उसके पिता हमेशा उसे सरकारी अधिकारी बनाना चाहते थे लेकिन क्रिकेट उसका जुनून था और मैंने उसका हमेशा साथ दिया और मैं उसे छुपकर क्रिकेट खेलने भेज देती थी। उन्होंने कहा कि उस समय अगर कोई सुनता कि तुम्हारा बेटा क्रिकेट खेल रहा है तो वे कहते कि ये तो आवारा मवाली ही बनेगा’। लेकिन हमें उस पर पूरा भरोसा था और छह महीने के अंदर मेरे मालिक (पति) और बेटे के निधन के बावजूद हमने हार नहीं मानी क्योंकि हमें आकाशदीप पर भरोसा था।
आकाशदीप के पिता रामजी सिंह सरकारी हाई स्कूल में ‘फिजिकल एजुकेशन’ शिक्षक थे और वह कभी भी अपने बेटे को क्रिकेटर नहीं बनाना चाहते थे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें लकवा मार गया और पांच साल तक बिस्तर पर रहे। उन्होंने फरवरी 2015 में अंतिम सांस ली। इसी साल अक्टूबर में आकाशदीप के बड़े भाई धीरज का निधन हो गया। इसके बाद अब बड़े भाई की पत्नी और उनकी दो बेटियों की जिम्मेदारी भी उनके ही ऊपर थी। लाडुमा देवी की आंखों से आंसू बह रहे थे और उन्होंने कहा कि अगर उसके पिता और भाई जीवित होते तो वे आज खुशी से फूले नहीं समाते। यह जिंदगी का सबसे यादगार दिन है। मुझे बेटे पर फक्र है।