अपनी शख्सियत के जज्बाती पहलू का खुलासा करते हुए क्रिकेट के महानायक सचिन तेंदुलकर ने 2011 के विश्व कप में भारत की जीत को एक ‘अनमोल’ पल बताया और कहा कि जब भारत को जीत मिली तो उनकी आंखों में ‘खुशी के आंसू’ आ गए थे।
भारत द्वारा फाइनल में श्रीलंका को हराने के आखिरी पलों को याद करते हुए तेंदुलकर ने कहा कि उन्होंने तब ईश्वर को धन्यवाद दिया, खुशी से चिल्लाए और ड्रेसिंग रूम से मैदान की तरफ दौड़े।
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘जब मैं मैदान पर गया तब रो पड़ा। वह एकमात्र समय था जब मेरी आंखों में खुशी के आंसू आए क्योंकि वह एक अनमोल पल था। उस पल के बारे में आप बस सपने में सोच सकते थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में घरेलू मैदान पर खेलना, भारतीय टीम ने खूब सारे शैंपन के साथ जश्न मनाया और उनके परिवार, दोस्त और प्रशंसक भी उस रात ड्रेसिंग रूम में जश्न का हिस्सा बनें।’’
महानायक ने कहा कि उनके लिए विश्व कप हाथों में लेने जैसा पल कोई और नहीं हो सकता। तेंदुलकर ने ‘हेडलाइंस टुडे’ से कहा, ‘‘यह मेरी ट्रॉफी नहीं थी, यह हमारी ट्रॉफी थी, यह देश की ट्रॉफी थी।’’
तेंदुलकर ने नवंबर 2013 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। उन्होंने कहा कि भारतीय टीम को हालांकि विश्व कप जीतने का भरोसा था वह कभी भी आत्ममुग्धता की शिकार नहीं हुई।
रिकॉर्ड छह विश्व कप में खेलने वाले खिलाड़ी ने कहा, ‘‘खेल में कुछ भी संभव है और मुझे उम्मीद थी कि हम अच्छा फॉर्म बनाए रखेंगे क्योंकि हम अच्छी क्रिकेट खेल रहे थे, मुझे पता था कि हममें मैच को आसानी से खत्म करने का आक्रामकता थी।’’
भारत ने 2013 में 28 साल के अंतराल के बाद विश्व कप जीता था। तेंदुलकर को लगता कि टीम ने सही समय पर लय पकड़ ली। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी शुरुआत उतनी अच्छी नहीं थी। हम या तो अच्छी गेंदबाजी नहीं कर रहे थे या अच्छी बल्लेबाजी नहीं कर पा रहे थे। एक पैकेज के तौर पर यह सही नहीं जा रहा था। हमने जब अच्छी बल्लेबाजी की तब अच्छी गेंदबाजी नहीं कर पाए और जब अच्छी गेंदबाजी की तब बल्लेबाजी उतनी अच्छी नहीं कर पाए। हमने सही समय पर अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और दोनों चीजों ने एकसाथ लय हासिल कर ली। जाहिर तौर पर हमने अच्छा क्षेत्ररक्षण भी किया।’’
2011 की पूरी टीम की तारीफ करते हुए महान क्रिकेटर ने कहा कि सभी खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया और वे आक्रामक थे।
तेंदुलकर 2011 विश्व कप के नौ मैचों में 482 रनों समेत 45 मैचों में 2,278 रनों के साथ आईसीसी विश्व कप के सबसे सफल बल्लेबाज हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आशीष नेहरा, मुनाफ (पटेल), जहीर (खान), हरभजन (सिंह)…सब आक्रामक थे और आपको इन खिलाड़ियों को काबू में रखना था। यह मायने रखता है कि आप कैसे अपनी आक्रामकता दिखाते हैं।’’
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘वीरू (वीरेंद्र सहवाग) की बल्लेबाजी के बारे में कोई कयास नहीं लगा सकते। विपक्षी टीम को पता नहीं होता कि वह क्या करने जा रहे हैं। दूसरे छोर पर खड़े होकर मैं पता लगा रहा था कि वह क्या करने जा रहे हैं। युवराज की बात करें तो वह पहले मैच से सही जा रहे थे और यह आखिरी मैच तक जारी रहा।’’