पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज वसीम अकरम (Wasim Akram) अपनी राष्ट्रीय टीम का कोच नहीं बनना चाहते हैं। उनका कहना है कि यह काम काफी समय मांगता है। साथ ही उनके देश में क्रिकेट को पसंद करने वाले लोग बदतमीजी भी करते हैं। हालांकि, अकरम ने कहा कि जब भी उन्हें (पाकिस्तान क्रिकेट टीम) जरूरत होगी, वह खिलाड़ियों और युवाओं की मदद के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे।
वसीम अकरम ने पाकिस्तान के लिए 414 टेस्ट और 502 एकदिवसीय विकेट लिए हैं। उन्होंने 1996 और 1999 क्रिकेट वर्ल्ड कप में अपने देश का नेतृत्व किया था। वसीम अकरम ने क्रिकेट पाकिस्तान को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘जब आप कोच बनते हैं, तो आपको टीम को साल में कम से कम 200 से 250 दिन देने की जरूरत होती है और यह बहुत समय होता है। मुझे नहीं लगता कि मैं अपने परिवार से, पाकिस्तान से दूर रहकर इतना काम संभाल सकता हूं और वैसे भी मैं पीएसएल (पाकिस्तान सुपर लीग) में अधिकांश खिलाड़ियों के साथ समय बिताता हूं, उन सभी के पास मेरा नंबर है।’
वसीम अकरम ने पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के प्रशंसकों (फैंस) और फॉलोअर्स की बदतमीजी और बेरुखी को भी कोच नहीं बनने की वजहों में शामिल किया। अकरम ने कहा, ‘मैं मूर्ख नहीं हूं। मैं देखता और सुनता हूं कि लोग किस तरह कोच और सीनियर्स के साथ बदतमीजी करते हैं। खेलने वाला कोच नहीं होता है। यह काम खिलाड़ियों का है। कोच केवल प्लानिंग बनाने में मदद कर सकता है, इसलिए अगर टीम हारती है तो मुझे नहीं लगता कि कोच को उतना जिम्मेदार ठहराना चाहिए जितना एक देश के रूप में हम ठहराते हैं।’
वसीम अकरम का कहना है, ‘इसलिए मुझे इन सबका डर भी लगता है, क्योंकि मैं अपने साथ किसी तरह की बदतमीजी बर्दाश्त नहीं कर सकता। हम ऐसे ही बनते जा रहे हैं। मुझे लोगों से प्यार है… खेल के लिए उनका जोश और उत्साह भी पसंद है, लेकिन सोशल मीडिया पर उनकी बदतमीजी झलकती है। यह साफ दिखता है।’