बचपन में अपने पिता का ‘बड़ा’ क्रिकेट बल्ला थामने के बाद से ही हरमनप्रीत कौर ने सपने देखना कभी नहीं छोड़ा और भारत को पहली बार महिला विश्व कप खिताब दिलाने के बाद वह ‘सौभाग्यशाली’ महसूस कर रही हैं। रविवार दो नवंबर 2025 की रात नवी मुंबई में महिला विश्व कप फाइनल में दक्षिण अफ्रीका पर भारत को 52 रन से जीत दिलाने के बाद, हरमनप्रीत की नवोदित युवाओं को सपने देखते रहने की सलाह दी है।
‘सपने देखना कभी बंद मत करो’
बीसीसीआई की ओर से जारी एक वीडियो में हरमनप्रीत कौर ने युवाओं को सलाह देते हुए कहा, ‘सपने देखना कभी बंद मत करो। आप कभी नहीं जानते कि आपकी किस्मत आपको कहां ले जाएगी। जब से मैंने बचपन में पसंद-नापसंद का अंदाजा लगाना शुरू किया, तब से मेरे हाथ में हमेशा एक बल्ला रहा है। मुझे आज भी याद है कि हम अपने पिताजी के किट बैग से एक बल्ला लेकर खेला करते थे। वह बल्ला बहुत बड़ा होता था।’
पिता के बड़े बैट से शुरू हुआ था हरमन का सपना
वीडियो में हरमनप्रीत ने बताया, ‘एक दिन मेरे पिताजी ने मेरे लिए अपना एक पुराना बल्ला काटकर छोटा कर हमें दे दिया। हम उससे खेला करते थे। जब भी हम टीवी पर मैच देखते थे, भारत को खेलते हुए देखते थे या विश्व कप देखते थे तो मैं सोचती थी कि मुझे भी ऐसे ही मौके की जरूरत है। उस समय मुझे महिला क्रिकेट के बारे में पता भी नहीं था।’
सपना जो भारत के पहले महिला वर्ल्ड कप में बदला
हरमनप्रीत कौर का बचपन से शुरू हुआ यह सफर विश्व कप ट्रॉफी उठाने तक पहुंचा। हालांकि, यह काफी संघर्षों और कई हारों के बाद ही संभव हुआ। हरमनप्रीत कौर ने कहा, ‘मैं सपना देख रही थी कि मैं यह नीली जर्सी कब पहनूंगी? इसलिए मुझे लगता है कि यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है, एक युवा लड़की जो महिला क्रिकेट के बारे में नहीं जानती थी, लेकिन फिर भी एक दिन अपने देश में बदलाव लाने का सपना देख रही थी।’
‘नियति के गर्भ में क्या है आप नहीं जानते’
हरमनप्रीत कौर ने कहा, ‘…और मुझे लगता है, यह सब दिखाता है कि आपको सपने देखना कभी नहीं छोड़ना चाहिए। आप कभी नहीं जानते कि आपका भाग्य आपको कहां ले जाएगा। आप कभी नहीं जानते, यह कब होगा, यह कैसे होगा। आप केवल यही सोचते हैं, यह होगा। …तो मुझे लगता है, यही मेरा आत्मविश्वास था कि यह संभव हो सकता है। …और ठीक वैसा ही हुआ।’
36 वर्षीय इस दिग्गज ने कहा कि बचपन का सपना पूरा होने पर वह निश्चिंत और सौभाग्यशाली महसूस कर रही हैं। हरमनप्रीत कौर बोलीं, ‘निजी तौर पर यह बहुत भावुक क्षण है, क्योंकि बचपन से ही यह मेरा सपना था। जब से मैंने खेलना शुरू किया, एक दिन विश्व कप जीतना मेरा सपना था। अगर मुझे अपनी टीम का नेतृत्व करने का मौका मिलता है तो मैं यह मौका नहीं गंवाना चाहती।’
खुद को सौभाग्यशाली मानती हैं हरमनप्रीत कौर
हरमनप्रीत कौर ने बताया, ‘…तो मैंने ये सारी बातें अपने दिल की गहराइयों से कहीं। …और ईश्वर ने एक-एक करके सब सुन लीं। यह जादू जैसा है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि अचानक सब कुछ कैसे ठीक हो गया। सब कुछ एक-एक करके होता रहा। आखिरकार, हम विश्व चैंपियन हैं। मैं बहुत सुकून महसूस कर रही हूं, बहुत सौभाग्यशाली हूं, ईश्वर की बहुत आभारी हूं, जिन्होंने हमें यह टीम दी, जिसका हम इतने वर्षों से सपना देख रहे थे। हम इस पल को जी रहे हैं।’
2017 विश्व कप में टूट गया था दिल
हरमनप्रीत ने उस शानदार स्वागत को याद किया जब 2017 महिला विश्व कप फाइनल में लंदन में इंग्लैंड के खिलाफ हारने के बाद भारतीय टीम स्वदेश लौटी थी। विश्व कप 2017 के फाइनल के बारे में बताते हुए हरमनप्रीत कौर ने कहा, ‘हां भारत 229 रनों का पीछा करते हुए 48.4 ओवर में 219 रन पर ऑलआउट हो गया था। 2017 विश्व कप के बाद, जब हम लौटे तो हमारा दिल टूट गया था। हम 9 रन से मैच हार गए थे। हमें समझ नहीं आया कि ऐसा कैसे हुआ, क्योंकि वह मैच भी पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में था।’
फैंस के स्वागत ने फिर से भरा जोश
मिताली राज की अगुआई वाली उस भारतीय टीम में मौजूदा टीम की सीनियर खिलाड़ी जैसे हरमनप्रीत, स्मृति मंधाना और दीप्ति शर्मा शामिल थीं। हरमनप्रीत कौर ने कहा, ‘…लेकिन वापस आने के बाद, भारतीय प्रशंसकों ने हमारा जिस तरह से स्वागत किया और हमें प्रेरणा दी, उससे पता चलता है कि सिर्फ हम ही नहीं, पूरा देश महिला क्रिकेट से कुछ खास करने का इंतजार कर रहा था। … और देश के लिए भी कुछ खास करने की मांग कर रहा था।’
‘हर किसी को था इस पल का इंतजार’
हरमनप्रीत कौर ने कहा, ‘हर कोई इस पल का इंतजार कर रहा था। …और मुझे लगता है कि सभी के आशीर्वाद और प्रार्थनाओं की वजह से ही हम उस दहलीज (विश्व कप जीतने की) को पार कर पाए। मुझे नहीं लगता कि हम स्टेडियम में अकेले खेल रहे थे। हर कोई, पूरा स्टेडियम, जो लोग हमें टीवी पर देख रहे थे, सभी इसे जीतने के लिए एक साथ आए, क्योंकि यह अकेले संभव नहीं था।’
