नई दिल्ली। इंचियोन एशियाई खेलों के फाइनल में भारतीय हाकी टीम की पाकिस्तान पर जीत के नायक रहे गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने कहा कि कड़ी मेहनत और बेहतरीन तैयारियों ने उन्होंने खिताबी मुकाबले से पहले ही तय कर दिया था कि उन्हें इस बार तो हीरो बनना है, जीरो नहीं ।
श्रीजेश ने कल रात यहां हीरो मोटोकोर्प के सम्मान समारोह के दौरान कहा, फाइनल से पहले मैंने पाकिस्तान की सेमीफाइनल में मलेशिया पर जीत का वीडियो देखा था। यह मैच भी पेनल्टीशूट आउट तक खिंचा था। इससे मुझे यह समझने में मदद मिली कि शूटआउट के दौरान पाकिस्तान स्ट्राइकरों ने किस मूव और कोण से गोल किए ।

उन्होंने कहा, ‘‘फाइनल से पहले मैंने अपने साथियों और कोच के साथ शूटआउट का काफी अभ्यास किया था और अधिकतर बार मैं सफल रहा था। इसलिए मैं शूटआउट में अच्छे प्रदर्शन को लेकर आश्वस्त था। तब मुझ पर किसी तरह का दबाव नहीं था। ’’

श्रीजेश ने शूटआउट में दो शाट बचाये जिससे भारत यह मैच और स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा। उन्होंने कहा, मुझे जिम्मेदारी का अहसास था और मेरा लक्ष्य साफ था कि मुझे हर हाल में गोल रोकना है क्योंकि गोलकीपर के पास दो ही विकल्प होते हैं या तो वह हीरो बनता है या फिर जीरो।
इस स्टार गोलकीपर ने कहा कि रियो ओलंपिक तक भारत को हर हाल में अपने खेल में आमूलचूल सुधार करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पिछले एक साल में जो कड़ी मेहनत की थी उसका परिणाम मिलने लग गया है। अब हमें निरंतर अच्छा प्रदर्षन करना होगा और दुनिया की चोटी की टीमों में शूमार करने के लिये नियमित प्रगति करनी होगी।

श्रीजेश ने कहा,‘‘रियो ओलंपिक में अभी दो साल का समय है और तब तक हमें अपने खेल में काफी सुधार करना होगा, क्योंकि हम जानते हैं कि आस्ट्रेलिया, हालैंड और जर्मनी जैसी टीमों को हराना आसान नहीं है। हमें उनसे पार पाने के लिये खुद को तैयार करना होगा। ’’

इस अवसर पर भारतीय कप्तान सरदार सिंह ने कहा कि पिछले सात आठ महीने की कड़ी मेहनत से टीम को खुद पर विश्वास था।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमने टैरी वाल्ष (मुख्य कोच) के साथ मिलकर कड़ी मेहनत की थी और हमारा केवल एक लक्ष्य था टूर्नामेंट जीतना। पाकिस्तान के खिलाफ लीग मैच हारने के बाद हमने कई बैठकें की। हमने अपने खेल की समीक्षा की। हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि गलतियां को दोहराव नहीं हो। ’’