उन्नीस वर्षीय स्वीटी कुमारी ने रग्बी खेल में अपनी नई पहचान बनाई है। हाल ही में महिला रग्बी की आधिकारिक वेबसाइट स्क्रमक्वींस ने स्वीटी कुमारी को ‘इंटरनेशनल यंग प्लेयर ऑफ द इयर’ से नवाजा है। स्वीटी यह पुरस्कार पाने वाली देश की पहली महिला रग्बी खिलाड़ी हैं। नवादा जिले के बाढ़ की स्वीटी के पिता मजदूर हैं और मां आंगनबाड़ी में काम करती हैं। दुनिया भर से इस अवॉर्ड के लिए 10 लोगों को नामजद किया गया था। इसके बाद पब्लिक पोल के आधार पर स्वीटी का नाम चुना गया। इस उपलब्धि पर उन्होंने कहा, ‘मुझे लग रहा है जैसे मैं उड़ रही हूं। मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं कि महिलाओं की प्रतिष्ठित रग्बी वेबसाइट स्क्रमक्वींस ने मुझे ‘इंटरनेशनल यंग प्लेयर ऑफ द इयर’ के रूप में चुना है।’
स्क्रमक्वींस वेबसाइट के अनुसार इससे पहले स्वीटी को एशिया रग्बी द्वारा ‘महाद्वीप की सबसे तेज खिलाड़ी’ भी घोषित किया जा चुका है। वे टीम में एक विंगर के रूप में खेलती है, और उनके साथी उन्हें ‘स्कोरिंग मशीन’ कहकर बुलाते हैं। स्वीटी के रग्बी खिलाड़ी के इस सफर की शुरुआत एक एथलेटिक्स के रूप में हुई थी। इसके बाद स्वीटी ने 100 मीटर की एक दौड़ में हिस्सा लिया। इस दौड़ को स्वीटी ने 11.58 सेकेंड में पूरा कर लिया और इसी दौरान उसकी मुलाकात एक रग्बी कोच से हुई।
14 साल की उम्र में स्वीटी ने रग्बी खेल के बारे में जानकारी प्राप्त की और फिर एक टीम बनाई और राज्य चैम्पियनशिप में प्रवेश किया। तीन साल के अंदर वह राष्ट्रीय यू 17 टीम में थी, और पिछले साल उसे सीनियर नेशनल टीम में शामिल कर लिया गया। शुरू से ही स्वीटी की प्रदर्शन बेहतरीन रहा। 2019 में स्वीटी का प्रदर्शन काफी शानदार रहा। उन्होंने सेवेंस और फिफ्टीन दोनों में एशिया में अच्छा खेला। इसके बाद से ही स्वीटी को एशिया रग्बी द्वारा महाद्वीप के सबसे तेज खिलाड़ी के रूप में जाना जाने लगा।
भारत के अधिकांश सात टूर्नामेंटों में स्वीटी सबसे अधिक स्कोर करने में सफल रहीं। इसके अलावा उन्होंने सिंगापुर के खिलाफ टेस्ट मैच में दो टाई से स्कोर कर भारत को जीत दिलाई। फिलीपींस के खिलाफ मैच में भी स्वीटी ने बेहतर प्रदर्शन किया। इस बारे में स्वीटी कहती हैं कि फिलीपींस के खिलाफ छह और सिंगापुर के साथ अगले चार मैच में, कोई भी मुझे नहीं पकड़ सकता था, हालांकि सभी ने बहुत कोशिश की थी, किसी ने मुझे पीछे से तो किसी ने आगे से पकड़ने की कोशिश की लेकिन कोई भी मेरे जितना तेज नहीं दौड़ सका।’ राज्य में रग्बी खेल के शुरू होने के साथ ही स्वीटी को हर कोई पहचानने लगा है।
स्वीटी के भाई ने भी एथलीट को अपनाया था, लेकिन अधिक मेहनत होने और गरीबी के कारण उसे यह छोड़ना पड़ा। इस बारे में स्वीटी कहती हैं कि ‘मेरे भाई ने खेल छोड़ दिया, क्योंकि उसे कड़ी मेहनत करनी पड़ रही थी। अब मेरे पिता मेरे भाई-बहनों को डांटते हैं और उन्हें बताते हैं कि स्वीटी की लाइफ तो सेट है, उसे कुछ सीखो।’ अपने परिवार के बारे में स्वीटी कहती हैं कि मेरे पिता ने मुझे दूसरों से आगे रखा और मेरी हर तरह से मदद की।
