FIH Hockey Olympic Qualifiers 2024: भारतीय महिला हॉकी टीम पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने से चूक गई। जापान ने भारतीय महिला हॉकी टीम को एफआईएच ओलंपिक क्वालिफायर में तीसरे चौथे स्थान के मुकाबले में 1-0 से हराया। टोक्यो ओलंपिक ऐतिहासिक चौथे स्थान पर रही भारतीय महिला हॉकी टीम की इस हार ने प्रशंसकों के दिल तोड़ दिए।
इस हार से भारतीय महिला हॉकी टीम के पेरिस जाने के सभी रास्ते बंद हो गए। साथ ही ओलंपिक में पदक जीतने का सपना भी टूट गया। मैच में जापान के लिए काना उराता ने छठे मिनट में पेनल्टी कॉर्नर पर गोल किया। यह बढ़त आखिरी मिनट तक बनी रही जबकि भारतीय टीम एक भी गोल नहीं कर सकी। भारत को मैच में नौ पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन एक पर भी गोल नहीं हो सका। अमेरिका और जर्मनी फाइनल में पहुंचकर पहले ही क्वालिफाई कर चुके हैं।
भारतीय टीम में दिखी अनुभव की कमी: धनराज पिल्लै
भारत की हार पर 4 बार के ओलंपियन महान फॉरवर्ड धनराज पिल्लै ने कहा कि महिला हॉकी टीम में अनुभवी खिलाड़ियों की कमी नजर आई। उन्हें नहीं लगता कि टीम को विदेशी कोच की जरूरत है। चार ओलंपिक और चार विश्व कप खेल चुके धनराज ने भाषा से कहा, ‘पिछले एक डेढ़ साल में महिला हॉकी कोच को पूरी स्वतंत्रता दी गई, लेकिन 3-4 अनुभवी खिलाड़ी टीम में वापसी के लिए तरसते रहे, जिन्हें सीनियर बोलकर टीम से निकाल दिया।’
विदेशी कोच की जरूरत नहीं थी: धनराज पिल्लै
धनराज पिल्लै ने टोक्यो ओलंपिक में टीम की कप्तान रही रानी रामपाल का नाम लिए बगैर कहा, ‘इन लड़कियों ने घरेलू हॉकी और राष्ट्रीय खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया। सीनियर खिलाड़ियों को टीम में रखकर कैसे अच्छा प्रदर्शन कराना है, यह कोच के हाथ में होता है। उन्हें मौका दिए बिना बाहर करना सही नहीं था। इसका नतीजा सामने है।’
मेरे साथ भी ऐसा हो चुका: धनराज पिल्लै
उन्होंने कहा, ‘यही समय था कि अनुभवी खिलाड़ियों को जूनियर खिलाड़ियों का मार्गदर्शन करने के लिए टीम में होना चाहिये था। फॉरवर्ड लाइन में तालमेल नहीं था हालांकि टीम को वंदना कटारिया की कमी खली जो चोट के कारण बाहर थी। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था जब 1998 एशियाई खेलों के बाद मेरे समेत सात लोगों को बाहर किया था लेकिन मैं छह साल और खेला।’
भाषा इनपुट के साथ