Express Adda: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के लिए शूटिंग में दो ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली महिला शूटर मनु भाकर और टोक्यो ओलंपिक 2020 में बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकीं महिला बॉक्सर लवलीन बोरगोहेन शनिवार 7 सितंबर 2024 को दिल्ली में आयोजित एक्सप्रेस अड्डा में खास मेहमान थीं। इस कार्यक्रम में दोनों खिलाड़ियों ने अपने करियर और लाइफ से जुड़े कई अनुभव शेयर किया और कई पहलूओं पर बात की।
विनेश को अयोग्य घोषित किए जाने से सब थे निराश
मनु और लवलीना से पूछा गया कि जब विनेश फोगाट को वजन बढ़ जाने की वजह से फाइनल फाइट से पहले अयोग्य घोषित कर दिया गया था तो आप दोनों को कैसा लगा था। इसका जवाब देते हुए लवलीना ने कहा कि जब से घटना घटी थी तब मैं भारत लौट आई थी। मुझे यह सुनकर अच्छा नहीं लगा क्योंकि कोई भी एथलीट उस लेवल तक पहुंचकर हार जाए तो अच्छा नहीं लगता।
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उन्होंने कहा, किसी भी एथलीट के लिए वजन कम करना एक चैलेंज होता है क्योंकि आप वेट गेन तो कर सकते हैं, लेकिन उसे कम करना बहुत मुश्किल होता है। मैं भी बॉक्सिंग करती हूं और वहां भी कुछ ऐसा ही है। वैसे हमारे गेम में अगर आपका वेट थोड़ा ज्यादा होता है तो मेडल दे दिया जाता है, लेकिन कुश्ती में ऐसा नहीं है और ये सबसे के लिए निराश करने वाला पल था।
विनेश फोगाट के बारे में बात करते हुए मनु भाकर ने कहा कि मुझे खुशी है कि मैं वेट स्पोर्ट्स में नहीं हूं। हमें लग कहा था कि इस गेम में गोल्ड मेडल आ जाएगा क्योंकि विनेश ने जापानी पहलवान को हरा दिया था जिसे हराना काफी टफ था। वो गोल्ड के काफी करीब आ गईं थीं, लेकिन उनके साथ ये वाकया हो गया। स्पोर्ट्स में कभी-कभी ऐसा हो जाता है तो हम उम्मीद नहीं करते हैं। वैसे हमारे गेम में वेट का कोई इशू नहीं है, हां हमें फिटनेस रखनी पड़ती है।
राजनीति में आना खिलाड़ियों का व्यक्तिगत फैसला
इन दोनों खिलाड़ियों से जब पूछा गया कि कई खिलाड़ी राजनीति में आ रहे हैं तो उसे लेकर आपका क्या मानना है। इसके बारे में बात करते हुए लवलीना ने कहा कि मैंने तो राजनीति में आने का बारे में अभी नहीं सोचा है, लेकिन जो खिलाड़ी इसमें आते हैं वो उनकी व्यक्तिगत पसंद होती है। एक खिलाड़ी जिस तरह से अपने करियर में बाधाओं से लड़ते हैं उसे फेस करते हुए आगे बढ़ते हैं तो अगर वो इसमें आते हैं तो उसे बुरा नहीं कह सकते हैं। हां एक खिलाड़ी अगर राजनीति में आता है तो उसका खेल प्रभावित हो सकता है। अगर हम सिर्फ खेल रहे हैं तो उस पर ही फोकस करते हैं, लेकिन इससे थोड़ा ध्यान बंट सकता है।
मनु भाकर ने कहा कि मैं लवलीना दीदी की बातों से सहमत हूं और ये पूरी तरह से व्यक्तिगत पसंद है। कुछ लोग सोचते हैं कि राजनीति में आकर चीजों को सुधारा जा सकता है और अगर उस एथलीट का लंबा करियर रहा हो तो वह खेल को इसके जरिए कुछ दे सकता है। इसके कुछ निगेटिव साइड भी हैं जो पर्सनल लाइफ को भी प्रभावित करता है। ये जाहिर तौर पर व्यक्तिगत पसंद है कि इसमें आने का किसका क्या मकसद है। मुझे लगता है कि कोई भी जो देश के लिए अच्छा करना चाहता है तो वो कोई भी फील्ड चुन सकता है और देश के लिए कुछ योगदान दे सकता है। देश की सेवा राजनीति या फिर खेल के जरिए या फिर किसी अन्य जरिए से भी की जा सकती है।