संजय शर्मा
भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) का टारगेट ओलंपिक पोडियम 2016 फुस्स रहा। खेल मंत्रालय की इस योजना को सफल बनाने के लिए साई ने काफी कुछ झोंका। इस कार्यक्रम का मकसद भारत की रियो में पदक संभावनाएं बढ़ाना था लेकिन दो ही खिलाड़ी पदक लाने में सफल हो पार्इं। कुल 67 खिलाड़ियों को इस कार्यक्रम के तहत वित्तीय मदद दी गई थी। इस योजना और महासंघों को मदद योजना के जरिए रजत विजेता सिंधू को 44 लाख, साक्षी मलिक को 12 लाख, चौथे स्थान पर हीं जिम्नास्ट दीपा कर्मकार को महज दो लाख रुपए तैयारी के लिए मिले।
केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने ओलंपिक की तैयारी के लिए 67 खिलाड़ियों पर टारगेट ओलंपिक पोडियम के तहत 17.1 करोड़ और खेल महासंघों पर 13.7 करोड़ रुपए खर्च किए। यानी कुल 30.8 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहीं पदक जीतने और अच्छा प्रदर्शन करने पर सरकारों ने सिंधू, साक्षी, दीपा कर्मकार और ललिता बाबर को 18.9 करोड़ रुपए इनाम में दे दिए।

साई ने पहली बार टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना लागू की। खिलाड़ियों से पदक जीतने की उम्मीदें बांधी गई और 15 खेलों के लिए 40 विदेशी प्रशिक्षक और अन्य विशेषज्ञों की सेवाएं ली गर्इं। खिलाड़िÞयों का भोजन व्यय प्रतिदिन 450 रुपए से बढ़ाकर 650 रुपए और आहार सप्लीमेंट भत्ता 300 रुपए से बढ़ाकर 700 रुपए किया गया। विभिन्न खेल विज्ञान विधाओं में 80 विशेषज्ञों की सेवाएं ली गर्इं।

खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय खेल विकास निधि (एनएसडीएफ) के तहत ही टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना बनाई। इसका मकसद था 2016 और 2020 के ओलंपिक खेलों के लिए पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की पहचान करना और उन्हें सहायता देना। इसके लिए सरकार ने 45 करोड़ रुपए का कुल बजट रखा। छह खेलों एथलेटिक्स, तीरंदाजी, निशानेबाजी, मुक्केबाजी, कुश्ती और बैडमिंटन पर ध्यान देना तय किया गया। शुरुआत में रियो के लिए 97 खिलाड़ियों को चुना गया। इसके बाद ओलंपिक के लिए पात्रता वाले सभी खिलाड़ियों को इस योजना में शामिल किया गया।

साई की वेबसाइट के मुताबिक, रियो ओलंपिक की तैयारी के लिए 24 महीने का बजट 360 करोड़ रुपए तय किया गया। इसमें टारगेट ओलंपिक के 45 करोड़ रुपए शामिल नहीं हैं। ओलंपिक से एक साल पहले खिलाड़ियों को विदेशों में 100 स्पर्धाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सेदारी की योजना बनाई गई। हर खेल में पिछले साल औसत 250 दिन का राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया।