विश्व क्रिकेट को डकवर्थ लुइस मैथेड देने वाले टोनी लुईस का 78 साल की उम्र में बुधवार को निधन हो गया। लुईस ने फ्रैंक डकवर्थ के साथ मिलकर इस मैथेड को ईजाद किया था। इस मैथेड का सबसे पहले 1996-97 में जिम्बाब्वे और इंग्लैंड के बीच खेली गई वनडे सीरीज के दूसरे मैच में इस्तेमाल हुआ था। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसे 1999 वर्ल्ड कप में अपनाया गया था। इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने उनके निधन की जानकारी दी।
ईसीबी ने कहा, ‘बोर्ड को टोनी लुईस की मौत के बारे में जानकर बहुत दुख है। वे 78 साल के थे। टोनी ने फ्रैंक डकवर्थ के साथ मिलकर 1997 में डकवर्थ-लुईस का नियम बनाया था। आईसीसी ने इसे 1999 में अपनाया। 2014 में इसका नाम बदलने के बाद भी गणित का यह फॉर्म्युला दुनियाभर में इस्तेमाल हो रहा है। इसका इस्तेमाल बारिश के कारण प्रभावित मैचों में किया जाता है। टोनी और फ्रैंक के योगदान के लिए विश्व क्रिकेट उनका ऋणी रहेगा। हम टोनी के परिवार के प्रति शोक जाहिर करते हैं।’
डीएलएस लागू होने से पहले बारिश के समय जो टीम ज्यादा औसत से रन बनाती थी, उसे विजेता घोषित किया जाता था। उस नियम में विकेट गिरने की बात का ख्याल नहीं रखा जाता था। साल 1992 में वर्ल्ड कप के बाद दूसरे नियम पर चर्चा हुई थी। दरअसल, टूर्नामेंट के सेमीफाइनल मैच में इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका भिड़े। दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 13 गेंदों में 21 रन बनाने थे, लेकिन थोड़ी देर की बारिश के बाद ही उन्हें एक गेंद पर 21 रन बनाने का लक्ष्य मिल गया। इसके बाद ही दूसरे नियम पर विचार शुरू किया गया।
हालांकि, यह नियम व्यवहारिक रूप से समझने में कठिन है। डकवर्थ लुईस की आलोचना करते हुए एक क्रिकेट विशेषज्ञ ने कहा था कि डकवर्थ लुईस नियम को दुनिया में दो ही व्यक्तियों ने पूरी तरह समझा है। पहला डकवर्थ और दूसरा लुईस। सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली को भी यह मैथेड कभी रास नहीं आया। दोनों ने ही इस नियम को लागू करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। उन्हें कभी भी यह मैथेड समझ नहीं आया।

