जब भी कोई औरत मां बनती है तो अकसर लोगों को लगने लगता है कि उसका करियर खत्म हो गया है। चाहे वह कोई एक्ट्रेस हो, कोई बिजनेसवुमेन हो या फिर खिलाड़ी हो। हालांकि भारत की तीरंदाज दीपिका ने यह साबित किया की मां बनना जिंदगी में एक अल्पविराम तो हो सकता है लेकिन पूर्णविराम नहीं है। मां बनने से जिंदगी में सफलता हासिल करने की हिम्मत और बढ़ जाती है और प्रेरणा मिलती है। इसी हिम्मत और प्रेरणा के दम पर दीपिका ने वह कर दिखाया जो पेरिस ओलंपिक में नहीं कर पाईं।

दीपिका ने जीता मेडल

दीपिका ने रविवार देर रात को तीरंदाजी वर्ल्ड कप में सिल्वर मेडल जीता। दीपिका को फाइनल में चीन की लि जियामान के हाथों मिली लेकिन वह सिल्वर अपने नमा करने में कामयाब रही। इससे पहले सेमीफाइनल में उन्होंने मेक्सिको की टोक्यो ओलंपिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट अलेजेंड्रा वेलेंसिया को 6-4 से मात दी थी। वहीं क्वार्टर फाइनल में में चीन की यैंग को 6-0 से मात दी थी।

बेटी के जन्म के 15 दिन बाद ट्रेनिंग करने लगी थीं दीपिका

दीपिका ने आर्चरी वर्ल्ड कप में पिछला मेडल साल 2018 में जीता था। इसके बाद से दीपिका संघर्ष कर रही थीं। उन्हें किसी भी वर्ल्ड कप में कोई मेडल नहीं मिला। हालांकि दो साल पहले दीपिका मां बनी और अब मेडल का उनका छह साल का इंतजार खत्म हो गया। दीपिका ने इस टूर्नामेंट में छठा मेडल हासिल किया। दीपिका ने दिखाया कि मां बनना उनकी कमजोरी नहीं बल्कि ताकत है और वह देश के लिए मेडल जीतने क लिए प्रतिबद्ध हैं। पेरिस ओलंपिक के ट्रायल्स में हिस्सा लेने के लिए दीपिका ने बेटी के जन्म के 15 दिन बाद ही ट्रेनिंग शुरू कर दी थी।

पेरिस में हाथ लगी थी निराशा

भारतीय महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी को पेरिस ओलंपिक में सफलता नहीं मिली थी। टीम इवेंट में उनकी टीम क्वार्टर फाइनल मुकाबला हारी थीं। वहीं व्यक्तिगत इवेंट में साउत कोरिया की नाम सुहयोन से 2-6 से क्वार्टरफाइनल में हार मिली थी। इसके बाद दीपिका को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था।