कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में मौजूदा विश्व चैंपियन निकहत जरीन ने लाइट फ्लाईवेट (48-50 किग्रा) स्पर्धा में उत्तरी आयरलैंड की कार्ले मैकनॉल को 5-0 से हराकर गोल्ड मेडल जीता। जरीन ने इस मुकबाले में विश्व चैंपियन की तरह लड़ीं और तीनों राउंड में कार्ले पर हावी रहीं। 25 साल की भारतीय मुक्केबाज को यहां तक के सफर में काफी बाधाओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने एक बार बताया था कि उनके पिता ने उनसे कहा था कि ‘मुक्केबाजी महिलाओं के लिए नहीं है’।
निकहत ने अपने पिता के इस बात को चैलेंज की तरह लिया और उन्हें गलत साबित करने का इरादा बना लिया। उन्होंने अपने पिता से पूछा था कि बॉक्सिंग रिंग में महिलाएं क्यों नहीं दिखती। इसपर उनके पिता ने जवाब दिया था कि समाज का मानना है कि बॉक्सिंग महिलाओं के लिए नहीं होता। यह पुरुषों का खेल है। पिता की यह बात सुनकर निकहत ने बॉक्सिंग को चुन लिया।
यही नहीं निकहत एक बार ट्रेनिंग से खून से सने चेहरे और आंखों में चोट के साथ घर लौटीं थीं। इस हालत उन्हें देखकर उनकी मां रोने लगी थीं। उन्होंने कहा कि कोई लड़का शादी करने को तैयार नहीं होगा। इस पर निखत ने कहा था कि नाम होगा तो दूल्हों की लाइन लग जाएगी। अब उन्होंने अपने मां के डर को गर्व में बदल दिया है। हाल में उनकी अम्मी का जन्मदिन था और उन्होंने उनके लिए बर्मिंघम से गिफ्ट में गोल्ड लाने का वादा किया था, जो उन्होंने पूरा किया।
निजामाबाद में जन्मी जरीन केवल 13 वर्ष की थी, जब उन्होंने देखा कि 2009 में ‘वर्ल्ड अर्बन गेम्स’ में बॉक्सिंग श्रेणी में कोई महिला प्रतिभागी नहीं थी। तब उन्होंने अपने पिता से इसका कारण पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया कि महिलाएं इतनी मजबूत नहीं होती। जरीन ने कहा है कि उसी समय उन्होंने फैसला किया कि वह एक बॉक्सर बनना चाहती हैं। उन्होंने अपने पिता से कहा कि वह लोगों को दिखाना चाहती है कि एक लड़की भी बॉक्सिंग कर सकती है।
आईपीएस ऑफिसर बनने का था सपना
निकहत जरीन का बचपन का सपना आईपीएस बनने का था। उन्होंने इसे लेकर एक्सप्रेस अड्डा पर कहा था, “मेरा बचपन का सपना आईपीएस ऑफिसर बनने का था। मुझे पुलिस की वर्दी अच्छी लगती थी। मेरे स्कूल में आईपीएस अधिकारी मुख्य अतिथि के रूप में आते थे। मैं सोचती थी कि एक दिन मैं भी यूनिफॉर्म पहन कर मुख्य अतिथि के रूप में स्कूल जाऊंगी।”
समाज में सुनना पड़ता था ताना
बॉक्सिंग चुनने पर निकहत और उनके परिवार वालों को काफी ताना सुनना पड़ा। इसे लेकर उन्होंने कहा था, “मैं रूढ़िवादी समाज से हूं, लोग सोचते हैं कि लड़कियों को घर का काम करना चाहिए। शादी करनी चाहिए और परिवार की देखभाल करनी चाहिए। मेरे पिता एक एथलीट थे, वह हमेशा मेरा समर्थन करते और मेरे साथ खड़े रहते। यहां तक कि जब लोग मेरे पिता जमील से कहते थे कि तुमने अपनी बेटी को बॉक्सिंग में क्यों डाला। आपकी चार लड़कियां हैं। पापा ने मुझसे कहा कि बॉक्सिंग पर फोकस करो और ये लोग (ऐसी बातें कहने वाले) ही तुम्हें बधाई देंगे। मैं अपने जीवन में ऐसे माता-पिता को पाकर धन्य महसूस करता हूं।”