युवराज सिंह को इंग्‍लैंड के खिलाफ तीन वनडे और तीन टी20 मैचों की सीरीज के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया है। वनडे टीम में युवराज की तीन साल बाद वापसी हुई है। उन्‍होंने आखिरी बार 11 दिसंबर 2013 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन में वनडे खेला था। इसके बाद से उन्‍हें टीम में जगह नहीं मिल पाई थी। वहीं टी20 में भी लगभग एक साल बाद युवी की टीम इंडिया में वापसी हुई है। वे आखिरी बार 27 मार्च 2016 को मोहाली में ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में खेले थे। युवराज की टीम में वापसी ने कई लोगों को हैरत में डाला है। उन्‍होंने इस साल रणजी ट्रॉफी में भी ऐसा कोई खास प्रदर्शन नहीं किया। हालांकि युवी ने बड़ौदा के खिलाफ 260 और मध्‍य प्रदेश के खिलाफ 177 रन की दो बड़ी पारियां खेलीं।

युवराज की वापसी के बाद कहा जा रहा है कि यह उनकी आखिरी अंतरराष्‍ट्रीय सीरीज हो सकती है। अटकलों के अनुसार उन्‍हें फेयरवैल देने के लिए टीम में जगह दी गई है। उनके चयन को लेकर चयन समिति के प्रमुख एमएसके प्रसाद ने बताया कि युवराज ने घरेलू स्‍तर पर शानदार प्रदर्शन किया है। इसकी प्रशंसा की जानी चाहिए। इस साल रणजी सीजन में अगर युवराज के प्रदर्शन पर नजर डालें तो पता चलता है किे उन्‍होंने पांच मैच खेले हैं। इसमें दो शतक और दो अर्धशतक बने। वहीं दलीप ट्रॉफी में वे खेले थे लेकिन वे नाकाम रहे थे। साल 2012 के बाद से युवराज का 19 वनडे में 18.53 का मामूली औसत है।

युवराज सिंह ने जो आखिरी वनडे सीरीज खेली थी उसमें भी उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। उन्‍हें दो मैच में मौका मिला था और एक में उनकी बल्‍लेबाजी नहीं आई। वहीं दूसरे में जीरो पर आउट हुए थे। इससे पहले वेस्‍ट इंडीज के खिलाफ नवंबर 2013 सीरीज में युवी तीन मैच में केवल 99 रन बना पाए थे। इससे ठीक पहले ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ छह वनडे में युवराज के बल्‍ले से चार पारियों में 19 रन निकले थे। इस श्रंखला में दो बार तो वे खाता भी नहीं खोल पाए थे।युवी 35 साल के हो चुके हैं तो इससे लगता नहीं है कि वे 2019 के वर्ल्‍ड कप तक टीम इंडिया का हिस्‍सा रह पाएंगे। वे साल 2015 के वर्ल्‍ड कप में भी टीम इंडिया के सदस्‍य नहीं थे।