भारत की ब्लाइंड क्रिकेट टीम ने टी20 विश्व कप जीतने पर खेल मंत्रालय द्वारा दिए गए 10 लाख रुपये के ईनाम को स्वीकार करने से मना कर दिया है। भारतीय टीम ने हाल ही में पाकिस्तान को दृष्टिबाधित टी20 विश्व कप के फाइनल में हराकर लगातार दूसरी बार इस खिताब पर कब्जा जमाया था। गत सोमवार को खेल मंत्री विजय गोयल ने वर्ल्ड कप विनिंग टीम के लिए 10 लाख रुपये के ईनाम की घोषणा की थी। ‘क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया'(CABI) ने ईनामी राशि कम होने की वजह से इसे स्वीकार करने से मना कर दिया है।
सीएबीआई अध्यक्ष जीके महंतेश ने दृष्टिबाधित टीम द्वारा लगातार दूसरी बार विश्व कप खिताब जीतने पर एक तरफ जहां खुशी व्यक्त की वहीं, उन्होंने इस बात के लिए अपना दुख भी प्रकट किया कि सरकार ने दृष्टिबाधित टीम की सफलता को तवज्जो नहीं दिया। उन्होंने कहा, ‘हमारे खिलाड़ी निराश हैं, पिछले बार जब हमने विश्व कप खिताब जीता था तो टीम के प्रत्येक खिलाड़ी को 5 लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी गई थी। दूसरी बार विश्व कप खिताब जीतने पर खिलाड़ी पहले से ज्यादा की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी।’
जीके महंतेश ने साथ ही सरकार और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से दृष्टिबाधित टीम को आधिकारिक दर्जा देने का अनुरोध भी किया। उन्होंने कहा, ‘दुख की बात है कि हम अभी भी संसाधनों के आभाव से गुजर रहे हैं। सरकार ने हमें अभी भी आधिकारिक दर्जा नहीं दिया है। साल 2002 में जब पाकिस्तान ने विश्व कप खिताब जीता था, वहां की सरकार ने उन्हें तुरंत ही आधिकारिक दर्जा दे दिया था। दूसरे देश हमसे ज्यादा सजग हैं, मुझे नहीं पता हमारी सरकार की नींद क्यों नहीं खुल रही। हमारे खिलाड़ियों ने पिछले चार सालों में चार खिताब जीता है। यदि उन्हें आधिकारिक दर्जा नहीं मिलता है तो यह हमारे देश के लिए शर्म की बात होगी।’
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एएनआई के हवाले से खेल मंत्री विजय गोयल ने इस मामले में कहा है कि उनका मंत्रालय ब्लाइंड क्रिकेट फेडरेशन को न्यायोचित दर्जा देने के बारे में विचार कर रहा है। उन्होंने इस बात पर भी खुशी जाहिर की है कि बेंगलुरू के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए फाइनल मुकाबले को देखने के लिए 30000 के आस पास दर्शक आए थे। एएनआई से बातचीत में गोयल ने कहा, ‘बीसीसीआई को ब्लांइड क्रिकेट फेडरेशन को दर्जा देना चाहिए। मैंने इस संबंध में बीसीसीआई अधिकारियों से अभी बात नहीं की है। एकबार मैं बात करुंगा और जानने की कोशिश करुंगा की बाधा कहां आ रही है।’
