वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के दिग्गज ऑलराउंडर और पूर्व कप्तान ड्वेन ब्रावो ने जल्द अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के संकेत दिये हैं। ब्रावो पिछले तीन साल से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बाहर हैं। इस दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास भी ले लिया था। लेकिन अब ब्रावो टीम में वापसी करना चाहते हैं। इसकी बड़ी वजह टीम मैनेजमेंट में बदलाव और किरॉन पोलार्ड का कप्तान बनाना है। ब्रावो ने टीम मैनेजमेंट पर निशाना साधते हुए कहा – अहंकारी और बुरे टीम नेतृत्व ने कई खिलाड़ियों का करियर ख़त्म किया।
इन दिनों वेस्टइंडीज की टीम भारत में अफगानिस्तान के साथ वनडे सीरीज खेल रही है। इस सीरीज में किरॉन पोलार्ड के नेतृत्व वाली ये टीम बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है। इस उपलब्धि पर ड्वेन ब्रावो ने एक वीडियो मैसेज जारी करते हुए कहा, “वेस्टइंडीज की टीम अच्छा प्रदर्शन कर रही है। टीम ने पिछले पांच साल में एक भी सीरीज नहीं जीती थी, लेकिन आखिरकार खिलाड़ी ऐसा करने में कामयाब रहे। कोच, फिल सिमंस के लिए खुश हूं। वह कोच के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में वापस आ गए हैं और पोलार्ड, नए कप्तान, और अन्य लोगों जैसे निकोलस पूरन, शाई होप, और रोस्टन चेस – वे सभी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।”
ब्रावो ने इस पोस्ट को शेयर जारते हुए लिखा ‘देखो बदलाव क्या परिवर्तन ला सकता है।” ड्वेन ब्रावोने कहा, ‘मैं जल्द ही संन्यास से वापसी का ऐलान कर सकता हूं। मैं आपको ये भी बताना चाहता हूं कि आप ऐसा नहीं सोच सकते कि वेस्टइंडीज क्रिकेट उस जगह आ गया है जहां हम उसे देखना चाहते हैं। मगर फिलहाल इसकी कमान सही हाथों में है और सही दिशा में है।
ब्रावो ने टीम मैनेजमेंट पर तंज कसते हुए कहा, ‘वेस्टइंडीज क्रिकेट की कमान ऐसे लोगों के हाथों में रही, जो कुछ खास खिलाड़ियों को टीम से दूर रखना चाहते थे और जिन्होंने कई खिलाड़ियों के करियर खत्म कर दिए।” उन्होंने कहा “ईर्ष्या, गंदा दिमाग, ‘मिस्टर बॉस’ का व्यवहार – ‘मैं प्रभारी हूं’। आप लोग जानते हैं कि वास्तव में मैं किसका वर्णन करने का प्रयास कर रहा हूं।
बता दें ब्रावो का ये निशाना वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डेव कैमरून पर था। साल 2014 में ब्रावो की कप्तानी वाली वेस्टइंडीज टीम ने अचानक भारत दौरा आधा छोड़कर वापस जाने का निर्णय लिया था। जिसके बाद ब्रावो और पोलार्ड को 2015 विश्व कप टीम से बाहर कर दिया गया था क्योंकि कैमरन के प्रशासन और अधिकांश वरिष्ठ खिलाड़ियों के बीच संबंध फिर कड़वे हो गए थे।

